क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

मौसम चाहे कोई भी हो लेकिन हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।लेकिन आज हम आपको बताएंगे हैं कि आप कैसे खुद को हमेशा खिलाखिला रख सकती हैं।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

अबॉर्शन के बाद डिप्रेशन होना शायद यह बात आपको थोड़ा अजीब जरूर लगे। लेकिन सच यह है कि अबॉर्शन और डिप्रेशन का बहुत गहरा संबंध है। अॅर्बाशन कराने के बाद अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और...

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहे सावधान, जानिए क्यों?

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

देश का भविष्य खराब कर रहा है फास्ट फूड

आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि फास्ट फूड हमारे देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है।

बालों को लेकर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 5 गलतियां?

आज के समय में हर कोई बालों के झड़ने और रफ होने जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

Tuesday, June 28, 2016

क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

आज के समय में हर किसी की भागदौड़ भरी जिंदगी है। फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की। बावजूद इसके हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है। अधिकतर लड़कियों की प्रॉब्लम होती है कि गर्मियों के मौसम में अगर वह कोई ब्रैंडिड क्रीम भी लगा लें तब भी उनके पिम्पल निकल जाते हैं।


जबकि कुछ लड़कियों को एलर्जी की शिकायत होती है। हालांकि अगर लड़कियां घरेलू नुस्खों से अपनी त्वचा को निखारने के लिए सिर्फ 15 से 20 मिनट भी निकालें तो तो ना सिर्फ उनका चेहरो हमेशा खिला हुआ रहेगा बल्कि उन्हें किसी कॉस्मेटिक क्रीम की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। अब पक्का आपके जहन ये प्रश्न उठ रहा होगा कि कैसे? तो आइए हम आपको बताते हैं कि इतने कम समय में आप खुद को कैसे खिलाखिला रख सकते हैं।

सुबह खाली पेट पानी पीएं


सुबह उठकर अक्सर लोग पहले फ्रैश होते हैं, फिर दांत साफ करते हैं और सीधा चाय पीकर ही सांस लेते हैं।जबकि यह तरीका बहुत गलत है। सुबह उठते ही सबसे पहले हमें बासी मुंह 3 से 4 ग्लास पानी पीना चाहिए। इससे ना सिर्फ हम बाहरी रूप से बल्कि अंदर से भी आप स्वस्थ रहते हैं। अगर संभव हो तो पानी में कुछ मात्रा शहद की मिला लें। एक म​हीने में ही रिजल्ट आपके सामने होगा।


बेसन और नींबू का मिश्रण



बेसन औ नींबू का मिश्रण चेहरे के लिए रामबाण माना जाता है। इससे ना सिर्फ चेहरे के दाग धब्बे मिटते हैं बल्कि चेहरे पर काफी चमक भी आती है। खास बात यह है कि इस मिश्रण को बनना काफी आसान है। आखों के पास के एरिया को छोड़ इस मिश्रण को पूरे चेहरे (चाहे तो गर्दन या हाथों पर भी) लगाकर 15 से 20 मिनट तक छोड़ दें। अच्छे ​रिजल्ट के लिए ऐसा हफ्ते में कम से कम 3 से 4 बार करना चाहिए।


चंदन और हल्दी का मिश्रण



हल्दी की गाठ और चंदन की लकड़ी को आपस में ​​घिसकर लगाने से चेहरे के सारे धब्बे दूर हो जाते हैं। बड़ी बात यह है कि इस मिश्रण को लगाने के चेहरे पर सदाबहार चमक रहती है। इसके अलावा चंदन की लकड़ी को दूध में मिलाकर लगाना भी काफी असरदार साबित होता है। यह मिश्रण तैलीय त्वचा के लिए सबसे बेहतर उपाय है।

टमाटर और नींबू की जोड़ी


टमाटर और नींबू की जोड़ी घर-घर में प्रसिद्ध है। इसे इस्तेमाल करना काफी आसान है। टमाटर में दस-बारह बूंदे नींबू की मिलाएं और इस मिश्रण को दाग-धब्बों के उपर लगाएं। यकीनन सिर्फ 1 महीने में ही इसका जबरदस्त रिजल्ट आपको हैरान कर देगा। साथ ही गर्मियों में दिन में कम से कम तीन बार नींबू पानी पिएं, कुछ ही हफ्तों में चेहरा चमकने लगेगा।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

मां बनना हर एक महिला के लिए एक सपने जैसे होता है। जब लड़कियों में हार्मोनल बदलाव आते हैं और वह किशोरी होती हैं तभी से वह दीदी-भाभी से गर्भावस्था के मीठे अनुभवों को सुनकर खुश होने लगती हैं। अक्सर देखा जाता है कि जब एक महिला गर्भवती होती है यानि कि मां बनने वाली होती है तो वह खुद को दुनिया की सबसे भाग्यशाली महिला महसूस करती है।


लेकिन हम जिस समाज में रहते हैं उसमें कई बार ऐसी स्थिति भी देखने को मिलती है जब गर्भवती होता एक महिला के लिए अभिश्राप साबित हो जाता है। जिसके चलते महिला के पास अॅर्बाशन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता। लेकिन अबॉर्शन सीधे तौर पर समस्या का समाधान नहीं है। अबॉर्शन एक महिला के लिए काफी महंगा सौदा साबित होता है। क्योंकि अबॉर्शन के बाद एक महिला को जितना कष्ट शारीरिक तौर पर झेलना पड़ता है, उससे कहीं ज्यादा मानसिक स्तर पर होता है।


 अबॉर्शन यानि कि डिप्रेशन
एक महिला चाहे किसी भी स्थिति में अबॉर्शन कराएं। लेकिन अपने शिशु को खो जाने का दुख वह मानसिक रूप से कभी स्वीकार नहीं कर पाती है। इस दुख को जब एक महिला हद से ज्यादा गंभीरता से लेने लगती है तो फिर एक ऐसी स्टेज आती है जब महिला डिप्रेशन की शिकार हो जाती है। साथ ही अबॉर्शन के बाद अचानक ही महिलाओं  के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। जो डिप्रेशन और बैचैनी को स्पष्ट तौर पर न्यौता देते हैं।


ये डिप्रेशन इस हद तक हो जाता है कि पीड़ित महिला के मौत होने की भी पूरी संभावना रहती है। ये डिप्रेशन भी दो प्रकार के होते हैं। पहला ऐसा होता है जिसमें महिला अबॉर्शन के बाद खुद को खुद को कठोर और सामान्य दिखाना चाहती है। जबकि अंदर से वह पूरी टूट चुकी है। और उसका ये अकेलापन उसकी जान से सौदा कर बैठता है। वहीं, दूसरे तरह के डिप्रेशन में महिला अबॉर्शन के बाद अपनी भावनाओं को व्यक्त तो करती है लेकिन कोई विकल्प ना होने के चलते वह और ज्यादा डिप्रेस्ड हो जाती है। इसलिए हम आपसे यही कहेंगे कि ​अबॉर्शन कराने से पहले एक नहीं बल्कि कई बार सोचिए। क्योंकि हमें आपकी फिक्र है।

Monday, June 27, 2016

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहें सावधान, जानिए क्यों

यूं तो किसी भी बिमारी को छोटा या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन अस्थमा यानि कि दमा एक ऐसी ​बिमारी है जिसका रोग लगते ही व्यक्ति मौत को भी खुशी—खुशी गले लगाने को तैयार हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दमा श्वसन तंत्र की बिमारी है। जिसके चलते व्यक्ति को ना सिर्फ सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि कई बार उसे खून की उल्टियां भी हो जाती हैं। ऐसे में अस्थमा के मरीजों के लिए कई तरह के परहेज तय हैं जिनमें से बारिश से बचकर रहना सबसे ज्यादा जरूरी है।

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में भीगने से अस्थमा के मरीजों के सांस लेने में दिक्कतें और अटैक के अधिक मामले सामने आते हैं। लेकिन ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं


हमेशा नाक से सांस लें
बारिश या फिर ठंड के मौसम में अस्थमा के मरीजों को खासतौर पर मुंह के बजाय नाक से सांस लेनी चाहिए। इसका कारण यह है कि मुंह से सांस लेने पर ठंड भीतर जाती है। जबकि नाक से सांस लेने पर हवा फेफड़ों तक पहुंचने से पहले गर्म हो जाती है। ऐसे में अस्थमा के मरीज बारिश या ठंड के मौसम में नाक से सांस लें।

घर को साफ रखें
अस्थमा के मरीजों के लिए अनिवार्य है कि वह जिस वातावरण में रहें वह पूरी तरह से साफ हो। ऐसे मरीजों के कमरों में ज्यादा सजावट का सामान नहीं होनी चाहिए। ताकि उन पर धूल ना जम सके। क्योंकि जरा भी धूल अस्थमा के मरीजों के लिए एलर्जी और अटैक का कारण बन सकती है।


शांत रहे और व्यायाम करें
दमा के मरीजों को अक्सर शांत रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे मरीज ना ही ज्यादा बोले और ना ही कानाफूसी में ध्यान दें। क्योंकि इससे तनाव होता है और अस्थमा के मरीजों के लिए तनाव खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए अस्थमा के मरीज खुद को शांत रखने के लिए योग, व्यायाम और ध्यान करें।

इनहेलर साथ रखें
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अस्थमा के मरीज इनहेलर को हमेशा अपने साथ रखें। बारिश या ठंड के मौसम में ऐसे मरीजों को अधिकतर सांस लेने में दिक्कत होती है। जिसके चलते घर से बाहर निकलने से पहले कम से कम 2 से 3 बार इनहेलर का इस्तेमाल करें।