क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

मौसम चाहे कोई भी हो लेकिन हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।लेकिन आज हम आपको बताएंगे हैं कि आप कैसे खुद को हमेशा खिलाखिला रख सकती हैं।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

अबॉर्शन के बाद डिप्रेशन होना शायद यह बात आपको थोड़ा अजीब जरूर लगे। लेकिन सच यह है कि अबॉर्शन और डिप्रेशन का बहुत गहरा संबंध है। अॅर्बाशन कराने के बाद अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और...

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहे सावधान, जानिए क्यों?

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

देश का भविष्य खराब कर रहा है फास्ट फूड

आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि फास्ट फूड हमारे देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है।

बालों को लेकर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 5 गलतियां?

आज के समय में हर कोई बालों के झड़ने और रफ होने जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

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Tuesday, August 2, 2016

#BreastFeeding: इस उम्र में म​हिलाएं कराती हैं 75% स्तनपान



इन दिनों अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेस्टफीडिंग की धूम मची हुई है। मां के दूध को वरीयता देने के लिए अगस्त माह का पहला सप्ताह ब्रेस्टफीडिंग के रूप में मनाया जाता है। देशभर में ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जगह-जगह कैम्प लगे हुए हैं। कई जगहों पर महिलाएं अपने शिशुओं को पब्लिक प्लेस में ही ब्रेस्ट फीड करा रही हैं तो कई जगहों पर ब्रेस्ट फीड से शिशु और मां को होने वाले फायदों के पोस्टर लगाए गए हैं। इन सब के पीछे का मकसद सिर्फ महिलाओं को यह बताना है कि अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त उन्हें कहीं छिपने की जरूरत नहीं है बल्कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

एक मां द्वारा अपने शिशु को ब्रेस्ट फीड कराना वो पल होता है जब एक महिला को खुद पर गर्व होता है। हालांकि आज के समय में महिलाएं अपना​ फिगर खराब होने जैसी भ्रांतियों के चलते अपने शिशुओं को ब्रेस्टफीड कराने से परहेज करती है। आज ब्रेस्टफीडिंग के दूसरे दिन हम आपको बताएंगे कि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर महिलाएं किस उम्र में सबसे ज्यादा और किस उम्र में सबसे कम ब्रेस्टफीड कराती हैं। इसके साथ आइए जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग के 10 चमत्कारिक फायदें।


1) मां को आती है अच्छी नींद
शायद आपको यह आजतक ​महसूस ना हुआ हो लेकिन यह ​सच है कि जब एक मां अपने शिशु को ब्रेस्टफीड कराती है तो उसके बाद उसे अच्छी नींद आती है। 'द जरनल आॅफ पैरिनेटल' की स्टडी के अनुसार रात को ब्रेस्टफीड कराने के बाद एक महिला 45 मिनट तक ज्यादा नींद लेती है।

2) खत्म होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
'हेल्थ फाउनडेशन बर्थ सेंटर' के मुताबिक अपने शिशु को दूध पिलाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 25 प्रतिशत तक घट जाता है। जिंदगी भर ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए अपने शिशु को अवश्य ब्रेस्ट फीड कराएं।


3) बचते हैं 80094.00 से 100147.50 रुपये
ब्रेस्टफीडिंग से मां और शिशु को तो कई तरह के फायदे होते ही हैं सबसे अच्छी चीज यह है कि ब्रेस्टफीड से आप लगभग 80094.00 से 100147.50 रुपये तक की सेविंग कर सकते हैं। क्योंकि जो महिलाएं अपने शिशुओं को दूध पिलाने से परहेज करती हैं वह रेडिमेड दूध, निप्पल, बोतल और फ्लेवर जैसी तमाम चीजों में हजारों रुपये खर्च कर देती हैं।

4) मां पर निर्भर है दूध का स्वाद
मां के दूध का स्वाद सिर्फ उसके खानपान पर निर्भर करता है। यानि कि मां अगर दूषित खानपान का सेवन करती है तो उसके दूध में अपेक्षाकृ​त कम पोषक तत्व होंगे और स्वाद भी अच्छा नहीं होगा। लेकिन अगर मां पौष्टिक आहार लेती है तो उसका दूध बेहद स्वादिष्ट होगा।


5) दाएं स्तन में आता है ज्यादा दूध
'हेल्थ फाउनडेशन बर्थ सेंटर' के मुताबिक 75 प्रतिशत महिलाओं के दाएं स्तन में बाएं स्तन की अपेक्षा अधिक दूध आता है। हालांकि दोनों की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं होता है।

6) 30 साल में 75% होती है ब्रेस्टफीडिंग
'सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' की रिपोर्ट के ​मुताबिक 20 और इसके कम उम्र की युवतियां सिर्फ 43% ही ब्रेस्टफीड कराती हैं। वहीं 20 से 29 साल की उम्र की महिलाएं 65% ब्रेस्टफीड कराती हैं। जबकि 30 साल से अधिक की महिलाएं 75% ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं।

7) शिशु को मिलते हैं अनगिनत लाभ
मां के दूध से शिशुओं को अनगिनत लाभ मिलते हैं। मां का दूध पीने वाले शिशु शारीरिक और मानिसिक दोनों तौर पर हमेशा स्वस्थ रहते हैं। मां का दूध पीने वाले बच्चे अपेक्षाकृत अधिक बुद्धिमान भी होते हैं। क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, आयरन, ओमेगा एसिड और कई अन्य पोषक तत्व मिलते हैं।


8) स्तन के आकार होते हैं बराबर
अक्सर महिलाओं को स्तनों के आकार को लेकर शिकायतें रहती हैं। ब्रेस्टफीड आपकी यह समस्या दूर करती हैं। ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के दोनों स्तनों का आकार हमेशा एक समान रहता है।

9) बीमारी में भी कराते रहें ब्रेस्टफीड
बेबी सेंटर के मुताबिक अगर मां बुखार, वायरल, कोल्ड या किसी भी तरह की बीमारी से जूझ रही है तो वह उस स्थिति में भी शिशु को दूध पिला सकती है। मां के दूध से शिशु का इम्युन सिस्टम मजबूत होने के साथ ही बच्चा कई तरह की बीमारियों से लड़ जाता है।

10) हर मां के दूध की होती है अलग महक
क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि हर महिला के स्तनों के दूध में एक अलग तरह की महक होती है। रोचक बात यह है कि सिर्फ 2 ​सप्ताह का बच्चा भी अपनी मां के दूध की खुशबू को पहचान लेता है।

Sunday, July 31, 2016

#Breastfeeding : मां का दूध तय करता है बच्चे का मानसिक स्तर!


अगस्त माह का पहला सप्ताह 170 से भी अधिक देशों में #ब्रेस्टफीडिंग के तौर पर मनाया जा रहा है। हफ्तेभर तक चलने वाले इस मंसूबे को मनाने का मकसद #ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरुकता फैलाना और मां के दूध की शिशुओं के लिए जरूरत पर जोर देना होता है। पहली बार ब्रेस्टफीडिंग डे 1992 में मनाया गया था। एक सर्वे के अनुसार सामने आया है कि भारत में 30 फीसदी महिलाएं अपना फिगर खराब होने और कई भ्रांतियों के चलते अपने शिशुओं को स्तनपान कराने से परहेज करती है। जबकि मेडिकल साइंस का कहना है कि शिशुओं को स्तनपान कराने से ब्रेस्ट की शेप पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

नाइट शिफ्ट में काम करने से पुरुषों में भी होता है ब्रेस्ट कैंसर

बल्कि इससे स्तन सुडोल होने के साथ ही मां की शारीरिक बनावट में निखार आता है। एक कहावत है कि 'मां का दूध नसीब वालों को ही मिलता है।' इस कहावत में काई दोराय नहीं है। क्योंकि मां का दूध पीने वाले बच्चे रेडिमेड दूध पीने वालों की तुलना में ना सिर्फ सारी उम्र बीमारियों से मुक्त रहते है बल्कि मां का दूध बचपन में ही बच्चे का मानसिक स्तर भी तय कर देता है।


गर्भवती हैं तो प्रोटीओमेगा को कीजिए आहार में शामिल

मां का दूध और बच्चे का दिमाग
मां का दूध पीने वाले बच्चे मानसिक तौर काफी तेज होते हैं। शुरुआती 1 साल तक सिर्फ मां का दूध पीने से बच्चों की समृति, सोचने-समझने की क्षमता, कैचिंग पॉवर और अन्य कई तरह से बच्चे दिमागी तौर पर काफी तेज होते हैं। एक नए शोध के अनुसार सामने आया है कि जिन बच्चों ने मां का दूध पीया होता है वह डिप्रेशन की बीमारी के कम शिकार होते हैं।

बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए सिर्फ प्रोटीओमेगा

मां के दूध में पोषक तत्व
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चा धरती पर कदम रखने के साथ ही मां के दूध के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, आयरन, कॉर्बोहाइड्रेट और कैल्शियम के साथ ही कई पोषक तत्वों से जुड़ जाता है। यह बच्चे के लिए एंटीबायोटिक का कार्य भी करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मां का दूध पीन से बच्चे कुपोषण और लकवा जैसे बीमारियों से कोसो दूर रहते हैं। जो अक्सर बच्चों को बचपन में ही घेरने का प्रयास करती है।


मां के लिए भी है फायदेमंद
मां द्वारा अपने शिशु को दूध पिलाना जितना बच्चे के लिए फायदेमंद होता है उतना ही यह मां के लिए भी होता है। इससे प्रेग्नेंसी के दौरान मां का बढ़ा हुआ कम वजन कम होता है। चिकित्सकों की माने तो शिशु को दूध पिलाने से मां की प्रतिदिन 500 कैलोरी खर्च होती है। इसके साथ ही मां ब्रेस्ट कैंसर, वजन बढ़ना, हॉर्मोंस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम नियंत्रित रहता है। इसके साथ ही मां कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहती है।

Thursday, July 28, 2016

नाइट शिफ्ट में काम करने से पुरुषों में भी होता है बेस्ट कैंसर!


कैंसर नाम सुनते ही हमारे मस्तिष्क में मौत की घंटी बजने लग जाती हैै। ब्रेस्ट कैंसर भी कुछ इसी तरह के जानलेवा कैंसरों में से एक है। मौजूदा वक्त में भारत में करीब 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हैं। यह बात सच है कि अधिकतर ब्रेस्ट कैंसर के मामले महिलाओं में पाए जाते हैं। लेकिन एक रिसर्च के अनुसार अब पुरुष में भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखने लगे हैं। वैसे खुशी की बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर उन कैंसरों की श्रेणी में शुमार है जिसका निपटारा जल्दी हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने के चांस तब ज्यादा बढ़ जाते हैं जब उनके शरीर में बैड एस्ट्रोजेंस और हानिकारक टॉक्सिसन्स का निर्माण ज्यादा होने लगता है।

क्यों होता है ब्रेस्ट कैंसर?
भागदौड़ भरी जिंदगी और अनियमित खानपान मामूली बीमारियों से लेकर कई गंभीर बीमारियों का कारण साबित हो रहा है। इसके अलावा इसका एक कारण जैनेटिक समस्या भी है। फास्ट फूड और प्रोटीन रहित आहार का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसलिए हम आपको यह सलाह देंगे कि आप खुद को अधिक से अधिक प्रोटीन से जोड़ें। इसके लिए आप  Dr.G wellness का प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3, ओमेगा-6 और फाइबर के साथ कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में प्राकृतिक तौर पर आपका साथ देंगे। डॉक्टर भी ऐसे कैंसर से लड़ने के​ लिए अधिक से अधिक प्रोटीन और फाइबर का सेवन करने की सलाह देते हैं।


ऐसे केस में ज्यादा होता है ब्रेस्ट कैंसर
1) मासिक धर्म का कम उम्र में शुरू होना
2)  देर से पहली बार मां बनना या कभी बच्चे ना होना
3)  हार्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी कराना
4)  पुरुष द्वारा शार्टकट तरीके से 6 पैक एप्स बनाना
5)  बॉडी बनाने के लिए स्टेरॉड्स युक्त न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट का प्रयोग करना
6) शरीर में इन्सुलिन हार्मोन का हद-से-ज्यादा बढ़ना
7) नींद दिलाने वाले मेलाटोनिन हार्मोन का घटना
8) नाइट शिफ्ट में ज्यादा समय तक काम करना
9) प्रोटीन रहित खानपान
10) मासिक धर्म का देर में बंद होना (ऐसी स्थिति में अंडाशय, हार्मोन पैदा करना बंद कर देते हैं और शरीर की चर्बीवाली कोशिकाएं ईस्ट्रोजेन हार्मोन पैदा करती हैं। जिसके चलते मोटापे के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।)


प्रोटीओमेगा और ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर के लिए हम प्रोटीओमेगा के इस्तेमाल पर इसलिए जोर दे रहे हैं क्योंकि इस प्रोटीन युक्त सप्लीमेंट में प्रा​कृतिक औषधी रोजमेरी की प्रचुर मात्रा पर्याप्त है। जो ना सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर बल्कि प्रोस्टेट कैंसर, कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया और स्किन कैंसर से भी बचाने में मदद करता है। इसके अलावा रोजमेरी में पोटेशियम, कॉर्बोहाड्रेट, आयरन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, विटामिन A, B6, B12, C, D आदि पर्याप्त मात्रा में होते हैं।इतना ही नहीं इसमें एन्टी-इन्फ्लैमटॉरी गुण भी होता है जो ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकने में मदद करते हैं।

Friday, July 15, 2016

शराब पीने के ये चमत्कारिक फायदे हैरान कर देंगे आपको!


आज तक आपने पढ़ा और सुना होगा कि शराब पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। शराब पीने से ना सिर्फ हमें शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी क्षति होती है। लेकिन शायद आप ये पढ़कर हैरान होंगे कि शराब पीना कई हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भीी होता है। जी हां, यह बात पढ़ने में थोड़ी अटपटी जरूर लग रही है, लेकिन यह हम नहीं बल्कि एक रिसर्च का कहना है। शराब पीने के फायदों पर हाल ही में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि रोज शराब पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

अब यहां ध्यान देने वाली बात यह कि शराब की कितनी मात्रा हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है? इसके जवाब में हम आपको बताना चाहेंगे कि हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में हुई रिसर्च में कहा गया है कि स्वस्थ शरीर के लिए शराब की मात्रा हमारे लिंग, उम्र, मौसम और शारीरिक ढांचे के साथ साथ इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम शराब खाली पेट ले रहे हैं या फिर कुछ खाकर ले रहे हैं। हालांकि फिर भी रिसर्च में साफ तौर पर कहा गया है कि महिलाओं के रोजाना 1 और पुरुषों के लिए 2 पैग पीना फायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शराब पीने से हमे क्या लाभ होता है।


डिप्रेशन से छुटकारा
स्पेन के कई विश्वविद्यालयों में हुई रिसर्च में कहा गया है कि रोजाना शराब पीने से डिप्रेशन होने के खतरे को काफी कम करता है। इतना ही नहीं रिसर्च में यह भी कहा गया है कि सर्वे के दौरान देखा गया है कि जो महिला और पुरुष एक सप्ताह में 2 से 7 ग्लास शराब पीते हैं वह डिप्रेशन होने से खतरे से बिल्कुल बाहर है।

कोलोन कैंसर
अक्सर हम सुनते है कि ज्यादा शराब पीने और धूम्रपान करने से कोलोन (बड़ी आंत) कैंसर होता है। जबकि अमेरिका की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च में कहा गया है कि रेड वाइन पीने से कोलोन कैंसर होने की 50 प्रतिशत संभावना कम हो जाती है।

हार्ट अटैक से बचाव
अमेरिका के हॉवार्ड पब्लिक स्कूल द्वारा 'एन्नल्स आॅफ इंटरनल मेडिसिन' में छपे आॅर्टिकल में कहा गया है कि कभी कभार शराब पीने वालों को कभी शराब ना पीने वालों की तुलना में हार्ट अटैक आने के 30 प्रतिशत चांस कम होते हैं।

अच्छी नींद आना
रेड वाइन में पाया जाने वाला मेलाटोनिन सुकून की नींद लेने में मदद करता है। रात को सोने से पहले 1 पैग रेड वाइन लेने से अच्छी नींद आती है। यह महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए फायदेमंद होती है।


वजन कम होना
नियमित रूप से शराब पीने से शरीर का अतिरिक्त वजन घटता है। दरअसल वाइन हमारे शरीर से अतिरिक्त कैलोरी को नष्ट करती है। जिससे हम स्लिम और फिट फिगर पा सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर का खात्मा
लॉस एंजिलिस(अमेरिका) के विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना रेड वाइन (शराब) पीने से महिलाओं में होने वाले जानलेवा रोग ब्रेस्ट कैंसर का खात्मा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रेड वाइन से एस्ट्रोजन के स्तर को कम करता है। जिससे ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है। साथ ही रेड वाइन स्किन कैंसर से भी बचाती है।


चेहरे पर निखार आना
रोजाना सीमित मात्रा में रेड वाइन से चेहरे पर निखार आता है। रेड वाइन की कुछ बूंदों से चेहरे पर मालिश करने से चेहरा गुलाब की तरह दमक उठता है। इसके साथ ही जिन महिलाओं को बाल झड़ने की शिकायत होती है उनके लिए रेड वाइन का सेवन काफी फायदेमंद है। क्योंकि इससे ना सिर्फ बाल झड़ने कम होते हैं बल्कि बालों मे चमक भी आती है।

बढ़ती है याद्दाशत
शराब पीने से दिमाग तो तेज होता ही है साथ ही इससे याद्दाशत बढ़ती है। रेड वाइन में पाया जाने वाला रेस्वेराट्रोल तत्व दिमाग को अधिक विकसित करने में मदद करता है। साथ ही डेमेंटिया जैसी बीमारी से भी बचाता है।