क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

मौसम चाहे कोई भी हो लेकिन हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।लेकिन आज हम आपको बताएंगे हैं कि आप कैसे खुद को हमेशा खिलाखिला रख सकती हैं।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

अबॉर्शन के बाद डिप्रेशन होना शायद यह बात आपको थोड़ा अजीब जरूर लगे। लेकिन सच यह है कि अबॉर्शन और डिप्रेशन का बहुत गहरा संबंध है। अॅर्बाशन कराने के बाद अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और...

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहे सावधान, जानिए क्यों?

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

देश का भविष्य खराब कर रहा है फास्ट फूड

आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि फास्ट फूड हमारे देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है।

बालों को लेकर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 5 गलतियां?

आज के समय में हर कोई बालों के झड़ने और रफ होने जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

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Friday, July 29, 2016

गर्भवती हैं तो प्रोटीओमेगा को कीजिए आहार में शामिल


गर्भवती होने के दौरान एक महिला को जिस चीज का सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए वह है उसका खानपान। क्योंकि खानपान ही वह एकमात्र स्त्रोत है जिससे ना सिर्फ आप बल्कि आपका आने वाला शिशु भी स्वस्थ और विकसित पैदा होता है। आज के समय में ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हैं। जिसके चलते वह सिर्फ लास्ट के सातवें, आठवें और नवें महीने में ही आॅफिस से लीव लेती हैं। ​ऐसे में भागदौड़ भरी जिंदगी में अयनियमित खानपान और आहार में प्रोटीन की कमी होना आम बात हो जाती है।


अगर आप भी गर्भावस्था के दौरान कुछ इसी तरह की जीवनशैली अपना रही हैं तो यह आपके आने वाले शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि आपके खानपान का सीधा असर आपके शिशु पर पड़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि आप  Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को लेना शुरू करें।

इसमें प्रोटीन, ओमेगे-3, ओमेगा-6, फाबर, आयरन, कॉर्बोहाइड्रेट के साथ ही कई ऐसे पोषक तत्व हैं जिन्हें गर्भावस्था के ​दौरान लेना जरूरी होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि व्यस्त जीवन के दौरान प्रोटीओमेगा को लेकर आप पूरी तरह से प्रोटीन का सेवन कर सकती हैं। प्रोटीओमेगा को पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

Thursday, July 28, 2016

#ORSDAY : अक्सर डायरिया बनता है शिशुओं की मौत का कारण!


आज अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर #ORSDAY मनाया जा रहा है। इन खास दिन को मनाने का मकसद शिशुओं को कुपोषण और डायरिया की चपेट से बचाना और समाज में जागरुकता फैलाना है। दरअसल, जब शरीर में पानी और लवण की कमी होने लगती है तो डायरिया हो जाता है। यह इतना भयानक रोग है जो अगर एक बार बिगड़ गया तो इससे सीधा शिशु की मौत हो जाती है। डायरिया अक्सर 5 साल की उम्र से कम के शिशुओं को होता है।

बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए सिर्फ प्रोटीओमेगा

पोषक तत्वों का अभाव
डायरिया अक्सर उन शिशुओं को होता है जिनकी मां गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन, आयरन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व लेने से परहेज करती हैं। जिसके चलते शिशुओं का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता और वह पैदा होते ही डायरिया जैसे जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। डायरिया चार तरह का होता है। क्रॉनिक डायरिया, एक्यूट इंटरेटाइटिस, गैस्टरोइंटरेटाइटिस और डिसेंट्री।


डायरिया अक्सर बरसात के मौसम में होता है। क्योंकि ऐसे मौसम में साफ सफाई का अभाव रहता है और गंदगी डायरिया होने का सबसे बड़ा कारण है। डा​यरिया होने का एक बड़ा कारण अज्ञानता का अभाव भी है। ज्यातादार लोगों को यह पता ही नहीं होता कि शिशुओं को पैदा होते ही दस्त और उल्टियां होने के क्या कारण हैं? जिसके चलते कई बार ऐसा होता है कि अभिभावक डायरिया के लक्षणों और कारणों को समझने के अभाव में अपने बच्चे को खो देते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं डायरिया के लक्षण, कारण और इससे बचाव।

क्या आप भी अक्सर कमजोरी और थकान महसूस करते हैं?

डायरिया होने के कारण
1) शरीर में पानी की कमी
2) गंदा पानी पीना
3) साफ-सफाई का अभाव
4) आंत की गड़बड़ी
5) खाने में प्रोटीन और पोषक तत्वों का अभाव
6) ज्यादा तैराकी करना
7) पाचन तंत्र कमजोर होना
8) किसी दवाई से रिएक्शन होना


डायरिया के लक्षण
1) जल्दी-जल्दी दस्त आना
2) पेट में दर्द होना
3) पेट में कुछ घूमने जैसा महसूस करना
4) उल्टी आना
5) चक्कर आना
6) तेज बुखार होना
7) कमजोरी महसूस होना
8) चिड़चिड़ा महसूस होना

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डायरिया से बचाव
ठंड से बचाव ना होने पर बच्चों को जल्दी डायरिया हो जाता है। ऐसी स्थिति में अगर बच्चों को तुंरत अच्छे अस्पताल ले जाया जाए स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। इसके साथ बच्चे और मां दोनों का साफ रहना भी बहुत जरूरी है। शुरुआती 1 साल ​तक शिशुओं का सिर्फ मां का दूध पिलाएं। इसके बाद अगर बच्चा कुछ खाता है तो ध्यान रखें कि वह प्रोटीन और पोषक तत्वों से लैस हो। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बच्चे की शरीर में किसी की कीमत पर पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में डीहाईड्रेशन होने के चांस होते हैं।