Sunday, July 10, 2016
इन आसान टिप्स को अपनाकर बढ़ाएं खाने का स्वाद
By Rashmi Upadhyay11:10 PM#healthcare, #healthtips, #kitchen, #tastyfood, #स्वादिष्ट खाना, #हेल्थ टिप्स, food, किचनNo comments
हर महिला चाहती है कि वह हर रोज खाने में कुछ नया स्वाद लाएं। लेकिन साधन और समय की कमी के चलते इसे मुमकिन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। खासतौर से मध्यम वर्ग की महिलाओं के लिए। क्योंकि उनके पास दिनभर कामों का अंबार लगा रहता है। ऐसे में हर वक्त के खाने को स्वादिष्ट बनाना चुनौतीपूर्ण साबित हो जाता है। अगर आप भी स्वादिष्ट खाना बनाने को लेकर परिवार वालों की उम्मीद पर खरी नहीं उतर पा रही हैं तो अब घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। आज हम आपकी इस परेशानी से चुटकी भर में निजात दिलाने वाले हैं।
वैसे तो हर व्यंजन को बनाने की विधि अलग होती है। बावजूद इसके हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बनाने जा रहे हैं, जिनसे आप उतने ही समय और मेहनत में स्वादिष्ट और लजीज खाना बना सकेंगी।
1.) आप चाहे कोई भी सब्जी बनाने जा रही हो, सबसे पहले उसे हल्का ब्राउन होने तक आॅयल में फ्राई कर लो और फिर उसे अपने तरीके से ही बनाओ। देखना स्वाद में कितना अंतर होगा।
2.) सब्जी में 1 चम्मच जीरा, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन का पेस्ट डाल दें। फिर देखना परिवार के सदस्य अंगुलियां चाटते रह जाएंगे।
3.) अगर आप चाशनी बनाने जा रही हैं तो बर्तन के चारों ओर थोड़ा आॅयल लगा लें। इससे चाश्नी बर्तन में चिपकेगी नहीं।
4.) अगर आपको लग रहा है कि नींबू का आचार खराब होने वाला है तो घबराइए मत। आचार में थोड़ी सी चीनी डालकर उसे धूप में सुखा दें। आचार खराब होने के बजाय उसका टेस्ट स्वादिष्ट और खट्टा मीठा हो जाएगा।
5.) सब्जी या दाल बनने के बाद उसके उपर थोड़ा सा बारीक कटा हुआ हरा धनिया डाल दें। इससे सब्जी का स्वाद एकदम बदल जाएगा।
6.) अगर आपके घर में छोटे बच्चें हैं और वो आपके खाने में अक्सर कमी निकालते रहते हैं तो इसका भी समाधान है। बच्चों को मीठा बहुत पसंद होता है। जब भी उन्हें खाना परोसे तो एक कटोरी में भी उन्हें मीठा व्यंजन बनाकर भी दें। बच्चे बहुत खुश हो जाएंगे और आपको पसंद भी करेंगे।
7.) इमली को खराब होने से बचाने के लिए उसमें थोड़ा सा नमक या फिर नमक का पानी मिला कर धूप में सुखा लो। इमली कभी खराब नहीं होगी।
8.) आजकल के मौसम में चटनी, रायता और आम का पन्ना जैसे व्यंजनों को एक बार बनाकर फ्रिज में रखें। यह हफ्ते भर तक चलते हैं। खाते वक्त इन्हें परोसें। घर के बड़े ज्यादा व्यंजन देखकर खुश होते हैं।
Friday, July 8, 2016
सावधान! कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यें 5 गलतियां?
By Rashmi Upadhyay4:53 AM#dandruff, #hairfall, #healthcare, #healthtips, #skincare, #हेल्थ टिप्स, makeup, skincareNo comments
तमाम तरह की सावधानियां बरते के बावजूद आजकल ना सिर्फ लड़कियों को बल्कि लड़कों को भी बालों के झड़ने और रफ होने की शिकायत होती है। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हम इन गलतियों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि दैनिक दिनचर्या में अनजाने में आप ऐसी कौन सी गलतियां करते हैं, जिससे आपके बालों का पर्याय शब्द झाड़ू बन जाता है।
रोज शैम्पू करना
हम सोचते हैं कि अगर हम रोज शैम्पू करेंगे तो हमारे बाल साफ और फ्रैश रहेंगे। जबकि यह सिर्फ एक मिथ्क है। रोज शैम्पू करने से ना सिर्फ हमारे बाल झड़ते हैं बल्कि रफ भी होते है। क्योंकि शैम्पू में काफी कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जो हमारे बालों को ड्राय बनाता है।
ज्यादा ड्रायर लगाना
रोजाना ड्रायर लगाने से हमारे बाल काफी झड़ते हैं। क्योंकि जब हम अपने बालों को जरूरत से ज्यादा हीट देते हैं तो बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, और वो झड़ने लगते हैं।
कंडीश्नर का इस्तेमाल
जब हम लोग सिर धोते हैं तो शैम्पू करते वक्त तो हम बहुत एक्साइटिड होते हैं और बालों को अच्छी तरह से धोते हैं। लेकिन जब हम कंडीश्नर करते हैं तो थोड़ा लापरवाही आ जाती है। जिससे हम सिर सही से नहीं धो पाते। जिससे कंडीश्नर बालों में रह जाता है और बालों का दो मुंहे होना और हेयर फॉल का खतरा बढ़ जाता है।
गीले बालों को बांधना
अगर आप भी जल्दीबाली में गीले बालों को बांधने की गलती करते हैं तो अब इसे छोड़ दीजिए। इससे बाल काफी झड़ते हैं। क्योंकि जब बाल गीले होते हैं तो उनकी जड़ों में नमी होती है। जिसके चलते बाल रफ होने और बालों में डैंड्रफ होने के चांस भी काफी बढ़ जाते हैं।
आॅयल लगाकर सोना
हम सोचते हैं कि अगर हम रातभर अपने बालों में आॅयल लगाकर सोएंगे तो हमारे बाल अधित मजबूत और घने होंगे। जबकि यह बिल्कुल गलत है। बालों में रातभर आॅयल लगाकर सोने से बालों के झड़ने और डस्ट लगने का खतरा रहता है। इसलिए सिर धोने के सिर्फ 1 या 2 घंटे पहले ही आॅयल लगाना चाहिए।
नियमित सेक्स करने से महिलाओं को होते हैं ये 10 फायदे
By Rashmi Upadhyay12:44 AM#health benefits, #healthcare, #healthtips, #intimateseen, #sex, #womensex, #महिलासेक्स, #सेक्सNo comments
आज हम चाहे कितना भी चीख-चीख कर कह लें कि हम 21वीं सदी के आधुनिक लोग हैं। लेकिन हमारा समाज आज भी रूढ़िवादी परम्पराओं का ही अनुसरण करता है। अब आप सेक्स के मुद्दे को ही देख लीजिए। भारतीय लोग इस मुद्दे पर बात करने से आज भी खासे कतराते हैं। हमारे देश में खुलेआम सेक्स पर बात करने को बेशर्मी कहा जाता है। जो हमारे देश के पिछड़ेपन का सूचक है। जबकि सच यह है सेक्स करने से ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी कई तरह की बीमारियों से मुक्त होती है। उन्हें शारीरिक सुख के साथ-साथ मानसिक सुख भी मिलता है।
काम की बात
आज हम आपको बताएंगे कि हमने उपर सेक्स शिक्षा को भारत में भी अनिवार्य करने की बात क्यों कही है।। क्या आप जानते हैं सेक्स करने के क्या फायदे हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि नियमित रूप से सेक्स करने के क्या फायदे होते हैं। खासतौर से महिलाओं के लिए।
1- नियमित रूप से सेक्स करने वाली महिलाएं तनाव मुक्त रहती हैं।
2- सेक्स करने से महिलाओं में अतिरिक्त कैलोरी घटती है।
3- सेक्स करने से महिलाओं को काफी खुशी होती है। जो उनको लगभग हमेशा स्वस्थ रखती है।
4- सेक्स करने से दिगाम में एक अलग तरह का हॉर्मोन पैदा होता है। जिससे महिलाओं के चेहरे पर निखार आता है। साथ ही उनका पूरा शरीर भी दमक उठता है।
5- सेक्स करने से पति-पत्नी के बीच रिश्ता गहरा होता है और उनके बीच एक दूसरे के लिए विश्वास बढ़ता है।
6- सेक्स करने के बाद महिलाओं में सकारात्मक विचार आते हैं। नियमित रूप से सेक्स खासतौर से उन महिलाओं के लिए अधिक फायदेमंद है जो नकारात्मक विचारों वाली हैं।
7- एक रिसर्च के मुताबिक नियमित रूप से सेक्स करने से प्रतिरक्षा प्रणाली में काफी मजबूती आती है। जिससे ऐसा युगल कम बीमार पड़ता है।
8- सेक्स करने के बाद अच्छी नींद आती है।
10- हफ्ते में 2 बार सेक्स करने वालों को हार्ट अटैक, डिप्रेशन और कैंसर का कम खतरा रहता है। महिलाओं को ब्रेस्ट और ओवेरी कैंसर होने के चांस भी कम हो जाते हैं।
लौंग के इन फायदों को पढ़कर हैरान रह जाएंगे आप!
By Rashmi Upadhyay12:24 AM#best food, #cloves, #disease, #healthcare, #healthtips, #kitchen, #rainyseason, #लौंग, #हेल्थ टिप्स, herbal, seasonNo comments
आज के दौर में अगर कोई बिमारियों के प्रकार पर विचार करने बैठे तो शायद वह खुद ही तनाव में आ जाएगा। क्योंकि आजकल बीमारी शुरू किसी और एंगल से होती है और खत्म किसी और एंगल पर होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि बिमारियों की शुरुआत बड़ी धीमी होती है। जिसके चलते अक्सर हम डॉक्टर को दिखाना जरूरी नहीं समझते। जिसका खामियाजा हमें अंत में भुगतना पड़ता है। लेकिन अगर हम बीमारी और डॉक्टर के बीच इस लंबे अंतराल का कोई बीच का रास्ता ढूंढे तो निश्चित तौर पर हमारे सामने औषधि की ही छवि होगी। लेकिन इस एडवांस भरे दौर में हम लोग औषधि को मामूली समझकर या तो एलोपेथी के पीछे दौड़ते हैं और या फिर बीमारी से जूझते रहते हैं।
आज हम आपको लौंग के फायदे बताएंगे। लगभग सभी लोगों ने अपनी दादी-नानी या फिर घर के किसी बड़ें-बूढ़ों से कभी ना कभी लौंग के फायदों के बारे में जरूर सुना होगा। लेकिन उन पर अमल बहुत कम लोग कर पाते हैं। लौंग एक ऐसी औषधि है जिसका सेवन करने से ना सिर्फ कई तरह की बिमारियों से तुरंत आराम मिलता है बल्कि इससे बिमारियों का जड़ से खात्मा भी हो जाता है।तो आइए लौंग के फायदों के बारे में—
दांतों के लिए लौंग
आजकल बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को दातों में दर्द की समस्या रहती है। ऐसे में अगर लौंग को दर्द वाली जगह पर रखा जाए तो इससे चुटकी भर में आराम मिलना शुरू हो जाता है। साबुत लौंग के अलावा दांतों के दर्द के लिए लौंग के तेल का इस्तेमाल भी काफी प्रभावशाली होता है। लौंग सभी बैक्टीरियां का चुटकी भर में खात्मा कर देता है।
पाचन के लिए
जिन लोगों को अक्सर पाचन करने में दिक्कत आती है उन लोगों के लिए लौंग काफी फायदेमंद होती है। पाचन, गैस, बम्पिंग या कांस्टीपेशन की समस्या से पीड़ित लोग सुबह खाली पेट अगर 1 ग्लास पानी में कुछ बूंदे लौंग के तेल की डालकर पीएं तो उन्हें काफी आराम होगा। साथ ही सुबह खाली पेट साबुत लौंग को मुंह में रखकर भी काफी आराम मिलता है। इसके अलावा जो लोग सुबह चाय पीने के आदि है वह चाय में 1 से 2 लौंग डालकर भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
सर्दी-जुकाम में लौंग
जिन लोगों को सर्दी बहुत जल्दी लगती है उन्हें हमेशा अपने साथ 1 या 2 लौंग रखनी चाहिए। सर्दी-जुकाम की समस्या के वक्त मुंह में साबुत लौंग रखने से जुकाम के साथ ही गले में होने वाले दर्द से भी काफी आराम मिलता है।
मुंह से बदबू के लिए
अधिकतर लोगों को शिकायत रहती है कि वह जितना मर्जी दातुन कर लें या कितनी भी दांतों की साफ-सफाई कर लें लेकिर उनके मुंह से बदबू नहीं जाती। ऐसे लोगों के लिए लौंगे बहुत ही फायदेमंद है। 40 से 45 दिनों तक रोज सुबह मुंह में साबुत लौंग का सेवन करने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
चहरे के दाग-धब्बों या फिर सांवली त्वचा को निखारने के लिए भी लौंग फायदेमंद है। लौंग के पाउडर को किसी फेसपैक या फिर बेसन के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें सिर्फ लौंग का पाउडर कभी चेहरे पर ना लगाए। क्योंकि यह बहुत गर्म होता है, जिससे चेहरे पर रिएक्शन होने के चांस रहते हैं।
बाल होते हैं घने
जिन लोगों के बाल अक्सर झड़ते हैं या फिर सूखे-सूखे से रहते हैं वह लोग लौंग से बना कंडीश्नर इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर लौंग को थोड़े से पानी में गर्म कर उससे बाल धोएं जा सकते हैं। इससे बाल घने और मजबूत होते हैं।
गठिया रोग
गठिया के रोगियों के लिए लौंग का तेल काफी असरदार होता है। दर्द वाली जगह पर लौंग के तेल से हल्की मालिश करने पर काफी आराम मिलता है। क्योंकि लौंग में काफी मात्रा में फ्लेवोनॉयड्स पाया जाता है। जो काफी फायदेमंद होता है।
तनाव से छुटकारा
अक्सर लोग तनाव होने पर सिगरेट, शराब जैसी नुकसानदेह चीजों का इस्तेमाल करते हैं। जिससे शायद उन्हें पल भर के लिए आराम तो मिल जाता है लेकिन जीवन संकट में पड़ जाता है। ऐसे में तनाव के वक्त लौंग का सेवन बहुत असरदार होता है।
खाने में लौंग
सब्जी, दाल, प्लाओ या फिर किसी अन्य व्यंजन में सिर्फ 2 लौंग डालने से उसका स्वाद ही लाजवाब हो जाता है। जिससे कि यह स्वाद और हमारी सेहते दोनों के लिए असरदार होता है।
Thursday, July 7, 2016
योग से दूर होता है अलजाइमर, बढ़ती है याद्दाश्त
By Rashmi Upadhyay5:51 AM#alzheimer, #disease, #mind, #अलजाइमर, #याद्दाश्त, alzheimer, yoga, अलजाइमर, याद्दाश्तNo comments
अलजाइमर भूलने की बीमारी उन रोगों में से एक है जिनके बारे में मरीज से पहले उसके परिवार या अन्य जान पहचाने के लोगों को महसूस होता है। क्योंकि यह बीमारी प्रारंभ में यह खुद को महसूस नहीं होती है। वो इसलिए क्योंकि अलजाइमर दिमाग की बिमारी है, और इसकी गिरफ्त में आते ही संबंधित व्यक्ति दीर्घकालीन के साथ साथ अपने रोजमर्रा के कामों से भी बेखबर होने लगता है। मौजूदा वक्त में हमारे देश में 21 लाख लोग अलजाइमर के रोगी हैं। हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन निम्नलिखित लक्षण मिलने पर डॉक्टरी जांच अवश्य करानी चाहिए।
अलजाइमर के लक्षण
- खुद ही चीजों को रखकर भूलना
- एक ही बात को बार बार दोहराना
- खुद से बात करना
- जानी पहचानी जगहों या अपने ही घर में खो जाना
- रोजाना के आसान कामों को करने में भी दिक्कत महसूस होना
- देर रात को निकल कर घूमना
- बात करते वक्त सामने वाले व्यक्ति को घूरना
- काम ना करने पर भी ऐसा लगना कि वह काम हमने कर दिया है
उम्र बढ़ने के साथ होता है अलजाइमर
डॉक्टरों का मानना है कि 60 साल की उम्र के बाद अक्सर लोगों में अलजाइमर के लक्षण देखें जाते हैं। लेकिन अगर उनसे इस बारे में जिक्र करो तो वह इस बात से इंकार करते हैं।
क्यों होता है अलजाइमर
अलजाइमर होने का एक सबसे बड़ा कारण शारीरिक रूप से अस्वस्थ होना भी है। जो लोग कम उम्र में ही शारीरिक रूप से पीड़ित रहते हैं उनमें अलजाइमर होने के चांस ज्यादा होते हैं। क्योंकि ऐसे लोगों के मस्तिष्क तंतु वक्त से पहले ही सिकुड़ने लगते हैं। जबकि स्वस्थ लोगों के मस्तिष्क तंतु हमेशा स्वस्थ और क्रियाशील रहते हैं।
योग से दूर होता है अलजाइमर
वैसे तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन योग एक ऐसा माध्यम है जिसे निरंतर करने से इस बीमारी का हल निकाला जा सकता है। एक्सपर्टों का कहना है कि इस बीमारी को शुरुआत में पता लगते ही व्यायाम करना शुरू कर देना चाहिए। इतना ही नहीं निरंतर योग करने से याद्दाश्त भी बढ़ती है। अलजाइमर से ग्रसित मरीजों को दिन में कम से कम आधा घंटा योग करना चाहिए।
जानिए, करेले को क्यों कहा जाता है धरती का अमृत
By Rashmi Upadhyay12:51 AM#bitter gourd, #healthcare, #healthtips, #करेला, #हेल्थ टिप्स, bitter gourd, herbal, करेला, करेला जूस, करेला सूपNo comments
करेला एक ऐसी सब्जी है जो स्वाद में कड़वी तो जरूर होती है लेकिन हमारे शरीर के लिए रामबाड़ साबित हुई है। करेले का नाम सुनते ही अधिकतर लोगों की जीभ कड़वी होने लगती है। जिसके चलते लोग इसे अपनी डाइट में जोड़ने से बचते हैं। खासतौर से बच्चे। लेकिन अगर हम इस कड़वे करेले के फायदे गिनने बैठ शायद ही कोई गिना पाए। आयुर्वेदिक के साथ-साथ एलोपेथी ने भी करेले के फायदों का लोहा माना है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि करेले के या फिर करेले के जूस पीने के क्या फायदे हैं।
- करेले का प्रयोग कई तरह की दवाईयों में किया जाता है।
- खाली पेट करेले का जूस पीने से पाचन तंत्र संबंधी सभी बिमारियां दूर होती हैं।
- अगर किसी को भूख नहीं लगती तो खाली पेट करेले का जूस भूख बढ़ाने में भी मदद करता है।
- रोज सुबह करेले का जूस पीने से ब्लड शुगर लेवल कम होता है।
- शुगर के मरीज अगर 3 दिन तक खाली पेट करेले का जूस पीएं तो काफी हद तक बीमारी को नियंत्रण में किया जा सकता है।
- करेले के बीजों में भी पॉलीपेप्टाइड-पी होता है जो कि इन्सुलिन को काम में लेकर डायबेटिक्स में शुगर लेवल को कम करता है
- करेले का जूस कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं में ग्लूकोस का पाचन रोक देता है, जिससे कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
- करेले का जूस चेहरे के दाग-धब्बे भी हटाता है।
- रोज करले का जूस पीने से हमारा लीवर मजबूत होता है और चेहरे पर चमक आती है।
- करेले में बीटा- कैरोटीन और विटामिन ए की अधिकता होती है जो हमारी आखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।
- करेले का जूस हमारे खून में से जहरीले तत्वों को निकालता है, जिससे हमारा ब्लड साफ होता है।
- करेला का जूस या सब्जी गैस, अपच और दमा जैसी बिमारियों को काबू में करता है।
- 3 से 6 महीने तक एक कप करेले के जूस में नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से सोराइसिस के लक्षण दूर होते हैं।
- उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के जूस में थोड़ा सा पानी और काला नमक मिलाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है।
Tuesday, July 5, 2016
इस ईद यें ना करें, हो सकता है त्यौहार खराब
ईद का त्यौहार मुस्लिम समुदाय के लोगों का सबसे बड़ा त्यौहार होता है। रमजान के पाक महीने के बाद मुस्लिम समाज ईद-उल-फितर जैसे त्यौहार को बड़ी ही पवित्रता के साथ मनाता है। इस दिन मुस्लिम जाति के लोग खुशी में झूमकर एक दूसरों को गले लगाते हैं और मीठी सेवइयां से एक दूसरे का मुंह मीठा कर शुभकामनाएं देते हैं। इस साल भी 7 जुलाई को इसी तरह ईद मनाई जानी है।
लेकिन इस दिन हम खुशी में इतने मश्गूल हो जाते हैं कि अपने स्वास्थ्य को पीछे छोड़ देते हैं। जिसके चलते हमारी जरा सी लापरवाही ऐसे खास मौकों को निरस कर देती है। इसलिए इस ईद हमें अपनी हेल्थ पर विशेष रूप से ध्यान देना है। जिनके कुछ तरीके इस प्रकार हैं—
साफ-सफाई रखें
कहते हैं जहां साफ-सफाई होती है देवता वहीं वास करते हैं। इसलिए अगर आप भी चाहते हैं कि इस ईद अल्लाह आपके घर आएं और आपसे प्रसन्न हों तो उसके लिए आपको अपने घर और आसपास के एरिया को एकदम साफ रखना होगा। इसका प्रत्यक्ष रूप से असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। अक्सर त्यौहारों के मौके पर अब रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के इतना खो जाते हैं कि साफ-सफाई का मौका नहीं मिलता। इसलिए हमें अभी से सफाई की जरूरत है।
बाजार से सेवइयां ना लाए
बाजार से मिलने वाली सेवइंयों और घर में बनाई जाने वाली सेवइंयों में धरती-आसमान का फर्क होता है। घर में बनाया हुआ कोई भी पकवान साफ और ताजा होता है जबकि बाजार से मिलने वाले पकवान अधिकतर बासी और अशुद्ध होते हैं। खासतौर से मीठे पकवान। क्योंकि उन पर मक्खी-मच्छर ज्यादा बैठते हैं। बावजूद इसके हम लोग फ्री रहने और आलस्य के चलते बाहार से ही पकवान ले आते हैं। जिसके चलते हम खुद बीमारियों को न्यौता देते हैं। इसलिए याद रखें इस बार सेवइंया सिर्फ घर पर ही बनाएं।
बर्तनों का अच्छी तरह धोएं
त्यौहारों के मौके पर घर में भीड़भाड़ होना आम बात है। और जब बात हो ईद की तो त्यौहार पर चार चांद लग जाते हैं। ऐसे में इस दिन हम मेहमानों को जिन्हें भगवान का रूप कहा जाता है उन्हें जल्द से जल्द सेवइंया खिलाकर मुंह मीठा करवाना चाहते हैं। लेकिन इस चक्कर में हम बर्तनों को सही से साफ नहीं कर पाते। जिससे हम अपने मेहमानों को खुशियों के चक्कर में बीमारी भेंट कर देते हैं। ऐसे में इस बार बर्तनों को अच्छी तरह धोएं।
देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है फास्ट फूड
By Rashmi Upadhyay3:35 AM#best food, #disease, #fastfood, #fever, #healthcare, #healthtips, #streetfood, #tastyfood, #फास्ट फूड, #स्वादिष्ट खाना, #हेल्थ टिप्स, foodNo comments
आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आजकल अभिभावक खासतौर से बच्चों को स्कूल भेजते वक्त समय की कमी को आड़ बनाते हुए उन्हें फास्ट फूड देकर चलता कर देते हैं। जबकि परिजनों की इस लापरवाही का अंजाम बच्चें भुगतते हैं। आज स्थिति यह हो गई हो है कि हमारे देश में 5 साल की छोटी उम्र से ही बच्चों के पाचन तंत्र में दिक्कतें आने लगी हैं। जो उम्र बढ़ने के साथ लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में खराब डाइट के चलते 20 साल की उम्र तक आते-आते बच्चों का पाचन तंत्र पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो रहा हैं।
देश के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स द्वारा कराए गए सर्वे में पता चला है कि 6 से 17 साल तक की उम्र के बच्चें कई तरह से रोगी हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों की अपेक्षा प्राईवेट स्कूल के बच्चों को फास्ट फूड की ज्यादा लत होती है। सर्वे के मुताबिक प्राईवेट स्कूलों में पड़ने वाले 35 फीसदी बच्चें बिमारियां से पीड़ित हैं। केरल के कोच्चि शहर में सीबीएसई बोर्ड के 6 से 17 साल की उम्र के 7,202 बच्चें ऐसे हैं जिन्हें काफी गंभीर बिमारियां हैं। सर्वे बताता है कि शहरी इलाकों में 6 फीसदी छात्र मोटापे के शिकार हैं, 12 फीसदी ओवरवेट हैं और 17.2 फीसदी अंडरवेट हैं। यह सर्वे वर्ष 2015 का है।
जब इन 7,202 बच्चों में से 4,799 बच्चों का ब्लड प्रेसर लेवल चेक किया गया तो बेहद चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। 7,202 बच्चों में से 15.1 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेसर हाई है। जबकि 15.1 फीसदी बच्चें ऐसे हैं जो हाई ब्ल्डप्रेसर की कगार पर हैं। वहीं, एम्स द्वारा 2005 में किए सर्वे में हर कक्षा में सिर्फ 2 छात्र मोटे और 6 छात्र ओवरवेट पाए गए थे। जबकि बीते 10 सालों में आज यह संख्या दोगुनी हो गई है।
इन बिमारियों से पीड़ित हैं बच्चें
आजकल 10 साल से 18 साल के बीच कई बच्चें ऐसे हैं जिन्हें माइग्रेन, पथरी, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर, शुगर, सिर दर्द, पेट दर्द, आखें कमजोर जैसी गंभीर बिमारियां हैं। इतना ही नहीं ज्यादा आॅयली और मिर्च मसाला खाने के चलते बच्चें बवासीर जैसी खतरनाक बिमारी से भी पीड़ित हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
हेल्थ एक्सपर्टों का कहना है कि सिर्फ पौष्टिक आहार के अभाव के चलते आज बच्चों की यह दुर्दशा हो रही है। आजकल परिजन फास्ट फूड को बच्चों की पसंद मानकर और उनकी पलभर की खुशी के लिए उन्हें फास्ट फूड के दलदल में धकेल देते हैं। जब बच्चा फास्ट फूड का सेवन अधिक करने लगता है तो उसे घर का खाना फीका और बेस्वाद लगने लगता है। जबकि 18 साल की उम्र तक बच्चों को फास्ट फूड के बजाय ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन, विटामिन और अच्छी डाइट की जरूरत होती है।
क्या होती है अच्छी डाइट ?
एक्सपर्टों कहते हैं बच्चों के दैनिक आहार में रोटी, 2 टाइम दाल, हरी सब्जियां 2 ग्लास दूध, 1 कटोरी दही, सलाद, मौसमी फल, स्प्राउट्स, जूस होना अनिवार्य है। एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि बच्चों का भविष्य स्वस्थ और उज्जवल बनाने के लिए हमें बच्चों का मन फास्ट फूड से हटाना चाहिए और उन्हें हेल्थी चीजों की ओर आकर्षित करना चाहिए।
Monday, July 4, 2016
गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है जीका वायरस
By Rashmi Upadhyay4:04 AM#healthcare, #healthtips, #zikavirus, #गर्भावस्था, #जीका वायरस, #हेल्थ टिप्स, pregnant ladyNo comments
विदेशों में जीका वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारतीय यूनियन हेल्थ मिनीस्ट्री ने भी इसके खतरे पर हरी झंडी दिखा दी है। जीका वायरस को लेकर मंत्रालय से आए ताजे अपडेट में कहा गया है कि वैसे तो हर वर्ग के लिए लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए जीका सबसे ज्यादा खतरनाक है।
इससे ना सिर्फ शिशु अविकसित दिमाग लिए पैदा होता है बल्कि इससे शिशु की मौत होने की भी संभावना रहती है। जीका वायरस के चलते लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील में 2 महीने के शिशु के गर्भ में मरने का ताजा मामला सामने आया है। अब तक यह वासरस 38 देशों में फैल चुका है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जीका वायरस भारत में भी अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर सकता है। हालांकि अभी तक भारत में इसका कोई मामला नहीं देखा गया है। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए अलर्ट जारी कर दिया है। जिसके चलत भारत उन 5 देशों की लिस्ट में शामिल है जहां जीका वायरस से लड़ने के लिए टीके विकसित करने की परियोजनाएं चालू हैं।
जीका वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने इसलिए भी भारत को संवेदनशील बताया है क्योंकि भारत में डेंगू मच्छरों का बहुत आतंक है और यह वायरस भी मच्छरों के द्वारा ही फैलता है। हालांकि इसकी चपेट में आने का सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को है। ऐसे में अगर आप गर्भवती हैं या होने जा रहीं हैं तो अपनी सुविधा व सुरक्षा के लिए इन बातों का विशेष ध्यान दें—
गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान
- अपने आस-पास खासतौर पर सफाई रखें
- जहां पानी जमा हो रहा हो वहां कीटनाशक छिड़काव करें
- खान-पान पर विशेष ध्यान दें
- हल्के रंग के कपड़ें पहनें
- अपने स्वास्थ्य को लेकर बीच-बीच में डॉक्टर से बात करते रहें
- किसी भी तरह के मच्छर से कटने से बचें
- खूब पानी पीएं
- अधिक यात्रा ना करें
- बिस्तर पर मच्छरदानी और बाहर निकलते समय शरीर पर क्रीम रेपलेंट लगाएं
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस को पहचानने के कई लक्षण है। जिनमें से अगर 2 लक्षण भी किसी व्यक्ति को खुद में महसूस हो तो वह तुरंत चिकित्सक परामर्श लें। खासतौर से गर्भवती महिलाएं। क्योंकि इसे नजरअंदाज करने पर आप अपने शिशु को खो सकतीं हैं।
- जोड़ों में दर्द
- आंखें लाल होना
- चिड़चिड़ापन
- बेचैनी
- उल्टी
- आमतौर पर बुखार
- आखों के पीछे दर्द
- स्किन रैसेज
शिशु पर ये होगा असर
जीका वायरस गर्भवतियों के लिए खतरनाक है। इसके काटने से माइक्रोसेफैली (Microcephaly), न्यूरोलॉजिकल (Neurological) समस्याएं हो जाती हैं। जिसके चलते ऐसी महिलाओं के शिशु आमतौर पर असामान्य देखें गए हैं। जन्म के दौरान से ही ऐसे शिशुओं के सिर बड़ें और कमजोर होते हैं।