क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

मौसम चाहे कोई भी हो लेकिन हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।लेकिन आज हम आपको बताएंगे हैं कि आप कैसे खुद को हमेशा खिलाखिला रख सकती हैं।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

अबॉर्शन के बाद डिप्रेशन होना शायद यह बात आपको थोड़ा अजीब जरूर लगे। लेकिन सच यह है कि अबॉर्शन और डिप्रेशन का बहुत गहरा संबंध है। अॅर्बाशन कराने के बाद अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और...

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहे सावधान, जानिए क्यों?

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

देश का भविष्य खराब कर रहा है फास्ट फूड

आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि फास्ट फूड हमारे देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है।

बालों को लेकर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 5 गलतियां?

आज के समय में हर कोई बालों के झड़ने और रफ होने जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

Friday, July 29, 2016

गर्भवती हैं तो प्रोटीओमेगा को कीजिए आहार में शामिल


गर्भवती होने के दौरान एक महिला को जिस चीज का सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए वह है उसका खानपान। क्योंकि खानपान ही वह एकमात्र स्त्रोत है जिससे ना सिर्फ आप बल्कि आपका आने वाला शिशु भी स्वस्थ और विकसित पैदा होता है। आज के समय में ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हैं। जिसके चलते वह सिर्फ लास्ट के सातवें, आठवें और नवें महीने में ही आॅफिस से लीव लेती हैं। ​ऐसे में भागदौड़ भरी जिंदगी में अयनियमित खानपान और आहार में प्रोटीन की कमी होना आम बात हो जाती है।


अगर आप भी गर्भावस्था के दौरान कुछ इसी तरह की जीवनशैली अपना रही हैं तो यह आपके आने वाले शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि आपके खानपान का सीधा असर आपके शिशु पर पड़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि आप  Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को लेना शुरू करें।

इसमें प्रोटीन, ओमेगे-3, ओमेगा-6, फाबर, आयरन, कॉर्बोहाइड्रेट के साथ ही कई ऐसे पोषक तत्व हैं जिन्हें गर्भावस्था के ​दौरान लेना जरूरी होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि व्यस्त जीवन के दौरान प्रोटीओमेगा को लेकर आप पूरी तरह से प्रोटीन का सेवन कर सकती हैं। प्रोटीओमेगा को पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

Thursday, July 28, 2016

#ORSDAY : अक्सर डायरिया बनता है शिशुओं की मौत का कारण!


आज अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर #ORSDAY मनाया जा रहा है। इन खास दिन को मनाने का मकसद शिशुओं को कुपोषण और डायरिया की चपेट से बचाना और समाज में जागरुकता फैलाना है। दरअसल, जब शरीर में पानी और लवण की कमी होने लगती है तो डायरिया हो जाता है। यह इतना भयानक रोग है जो अगर एक बार बिगड़ गया तो इससे सीधा शिशु की मौत हो जाती है। डायरिया अक्सर 5 साल की उम्र से कम के शिशुओं को होता है।

बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए सिर्फ प्रोटीओमेगा

पोषक तत्वों का अभाव
डायरिया अक्सर उन शिशुओं को होता है जिनकी मां गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन, आयरन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व लेने से परहेज करती हैं। जिसके चलते शिशुओं का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता और वह पैदा होते ही डायरिया जैसे जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। डायरिया चार तरह का होता है। क्रॉनिक डायरिया, एक्यूट इंटरेटाइटिस, गैस्टरोइंटरेटाइटिस और डिसेंट्री।


डायरिया अक्सर बरसात के मौसम में होता है। क्योंकि ऐसे मौसम में साफ सफाई का अभाव रहता है और गंदगी डायरिया होने का सबसे बड़ा कारण है। डा​यरिया होने का एक बड़ा कारण अज्ञानता का अभाव भी है। ज्यातादार लोगों को यह पता ही नहीं होता कि शिशुओं को पैदा होते ही दस्त और उल्टियां होने के क्या कारण हैं? जिसके चलते कई बार ऐसा होता है कि अभिभावक डायरिया के लक्षणों और कारणों को समझने के अभाव में अपने बच्चे को खो देते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं डायरिया के लक्षण, कारण और इससे बचाव।

क्या आप भी अक्सर कमजोरी और थकान महसूस करते हैं?

डायरिया होने के कारण
1) शरीर में पानी की कमी
2) गंदा पानी पीना
3) साफ-सफाई का अभाव
4) आंत की गड़बड़ी
5) खाने में प्रोटीन और पोषक तत्वों का अभाव
6) ज्यादा तैराकी करना
7) पाचन तंत्र कमजोर होना
8) किसी दवाई से रिएक्शन होना


डायरिया के लक्षण
1) जल्दी-जल्दी दस्त आना
2) पेट में दर्द होना
3) पेट में कुछ घूमने जैसा महसूस करना
4) उल्टी आना
5) चक्कर आना
6) तेज बुखार होना
7) कमजोरी महसूस होना
8) चिड़चिड़ा महसूस होना

मानसून में बढ़ती है कमजोरी, ऐसे बढ़ाएं ताकत

डायरिया से बचाव
ठंड से बचाव ना होने पर बच्चों को जल्दी डायरिया हो जाता है। ऐसी स्थिति में अगर बच्चों को तुंरत अच्छे अस्पताल ले जाया जाए स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। इसके साथ बच्चे और मां दोनों का साफ रहना भी बहुत जरूरी है। शुरुआती 1 साल ​तक शिशुओं का सिर्फ मां का दूध पिलाएं। इसके बाद अगर बच्चा कुछ खाता है तो ध्यान रखें कि वह प्रोटीन और पोषक तत्वों से लैस हो। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बच्चे की शरीर में किसी की कीमत पर पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में डीहाईड्रेशन होने के चांस होते हैं।

ऐसे जानें आपका लीवर सही है या नहीं!

लीवर हमारे शरीर का जितना महत्वपूर्ण अंग है उतना ही यह संवेदनशील भी है। लीवर के खराब होते ही खाना पचाने में दिक्कतें आने के साथ ही हम कई तरह से बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। दरअसल जब लोग जरूरत से ज्यादा मोटे या पतले होते हैं तो वह खुद को फिट रखने के सपने से बाजारों में मिलने वाले तरह-तरह के सप्लीमेंट इस्तेमाल करते हैं। जिसमें अक्सर अक्सर जरूरत से ज्यादा लेड और पोटैशियम की मात्रा होने के चलते हमारे लीवर को नुकसान होना शुरू हो जाता है।


लीवर को स्वस्थ रखने के लिए हमें एक हेल्दी डाइट की जरूरत होती है। जो आजकल भागदौड़ और अनियमित खानपान के चलते पूरी नहीं हो पा रही है। अगर आप ज्यादा व्यस्त रहते हैं और प्रोटीन की पहुंच से दूर हैं तो आप Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट का प्रयोग कर सकते हैं।

इस सप्लीमेंट में ऐसे प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण है जो लीवर को मजबूत करने में मदद करता है। इसके अलावा इस सप्लीमेंट में प्रोटीन के साथ ही ओमेगा- 3 और 6, आयरन, कॉर्बोहाइड्रेट, फाइबर और कई पोषक तत्व भी मौजूद हैं। प्रोटीओमेगा को पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ मिलाकर लिया जाता है। सिर्फ 5 मिनट में प्रोटीओमेगा का सेवन पर आप अपने लीवर को उम्रभर के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।

मोटापा बढ़ने के इस कारण को जानकर हैरान रह जाएंगे आप!


आज के समय में हमारे देश में करीब 80 फीसदी लोग मोटापे से परेशान हैं। मोटापा ना सिर्फ आपकी पर्सनेलिटी को खराब करता है बल्कि यहीं से सभी बीमारियों की शुरुआत भी होती है। अक्सर लोेगों की शिकायत होती है कि तमाम प्रयासों के बावजूद उनका मोटापा नहीं घट रहा है।

मोटापे का सीधा कारण हमारा ​अनियमित खानपान, खराब जीवनशैली और तनाव भरा जीवन है। जी हां, ना सिर्फ तले-भुने खानपान बल्कि तनाव लेने से भी मोटापा बढ़ता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने आहार में अधिक से अधिक मात्रा में प्रोटीन और फाइबर को शामिल करेंं।

क्या आप भी अक्सर कमजोरी और थकान महसूस करते हैं?


प्रोटीन के सेवन से हमें एनर्जी मिलती है और यह हमारे शरीर से एक्सट्रा फैट को कम करके हमारा मेटाबालिज्म बढ़ता है। प्रोटीन लेने के लिए आप Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें प्रोटीन के साथ ही ओमेगा, आयरन, कॉर्बोहाइड्रेट, फाइबर और कई ऐसे तत्व मौजूद हैं जो आपके शरीर से एक्सट्रा फैट को बर्न करके एक सुडोल शरीर प्रदान करता है। इसकी खासियत यह है कि इसका सेवन करना बहुत आसान है। प्रोटीओमेगा को पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ मिलाकर लिया जाता है। सिर्फ 5 मिनट में प्रोटीओमेगा का सेवन पर आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रह सकते हैं।

क्या आप भी अक्सर कमजोरी और थकान महसूस करते हैं?


कमजोरी, थकान और तनाव होना आज के समय में लगभग हर किसी की शिकायत रहती है। अक्सर हम लोग इसे अपने काम और प्रैसर से जोड़ते हैं, जबकि शरीर में कमजोरी और थकान महसून होना पूरी तरह से हमारे खानपान और शरीर के आराम पर निर्भर करता है।

घरेलू महिलाएं अक्सर घर का काम और घर के सदस्यों की मांगे पूरी करने में रह जाती है। सुबह से शाम तक सबके काम करते-करते वह खुद की सेहत पर ध्यान देना भूल जाती है और अनियमित खानपान की आदि हो जाती है।

इसलिए आजकल ज्यादा हो रहा है फेफड़ों में कैंसर


कमजोर का इलाज सिर्फ प्रोटीओमेगा
कमजोरी से निजात पाना और स्वस्थ रहने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है आप अपने खानपान में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन और फाइबर को शामिल करें। लेकिन भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह प्रोटीन की तलाश करें। इसलिए हम आपको Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट के बारे में बता रहे हैं। इसमें प्रोटीन और ओमेगा के साथ ही ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो आपकी मांसपेशियों को अंदर से मजबूत करने के साथ आपको एक स्वस्थ शरीर प्रदान करते हैं।

प्रोटीओमेगा का सेवन करना भी बहुत आसान है। इसे पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ मिलाकर लिया जाता है। सिर्फ 5 मिनट में प्रोटीओमेगा का सेवन पर आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रह सकते हैं।

इसलिए आजकल ज्यादा हो रहा है फेफड़ों में कैंसर

फेफड़ों में कैंसर होने का मतलब है इंसान की जिंदगी के उल्टे दिन शुरू होना। सबसे बड़ी बात यह है कि फेफड़ों में कैंसर होने पर इसके लक्षण काफी समय बाद दिखाई देते हैं। इसलिए कई बार इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। अगर हम फेफड़ों में कैंसर के कारणों की बात करें तो इसके लिए सीधे तौर पर हमारा खानपान और नशीले पदार्थों का सेवन जिम्मेदार होता है। जब सीने में तरल पदार्थ जमा होने लगता है तो फेफड़ों में कैंसर होना शुरू हो जाता है।

नाइट शिफ्ट में काम करने से पुरुषों में भी होता है ब्रेस्ट कैंसर

फेफड़ों में कैंसर होने के लक्षण
1) सांस लेने में तकलीफ होना
2) अक्सर सिर में दर्द रहना
आवाज का फटना
4) खांसी में खून आना
5) वजन में निरंतर कमी आना और भूख ना लगना
6) सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज सुनाई देना
7) सीने के साथ-साथ पीठ और कंधों में भी दर्द महसूस होना
8) थोड़ा सा चलने पर अधिक थकान महसूस होना

#World Hepatitis Day: कहीं आप भी तो नहीं हेपेटाइटिस के शिकार?


प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट
आज के समय में पढ़ाई या आॅफिस के काम के चलते अक्सर लोग तनाव महसूस करते हैं। जिससे उनका खानपान बिगड़ता है और वह कुछ देर के सुख के लिए धूम्रपान करते हैं। अगर आप फेफड़ों में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचना चाहते हैं तो आप अपने आहार में  Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को जरूर शामिल कीजिए।

इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3, ओमेगा-6 और फाइबर के साथ कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो फेफड़ों में कैंसर से लड़ने में प्राकृतिक तौर पर आपका साथ देंगे। डॉक्टर भी ऐसे कैंसर से लड़ने के​ लिए अधिक से अधिक प्रोटीन और फाइबर का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसमें किसी भी तरह के कैमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है। 

नाइट शिफ्ट में काम करने से पुरुषों में भी होता है बेस्ट कैंसर!


कैंसर नाम सुनते ही हमारे मस्तिष्क में मौत की घंटी बजने लग जाती हैै। ब्रेस्ट कैंसर भी कुछ इसी तरह के जानलेवा कैंसरों में से एक है। मौजूदा वक्त में भारत में करीब 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हैं। यह बात सच है कि अधिकतर ब्रेस्ट कैंसर के मामले महिलाओं में पाए जाते हैं। लेकिन एक रिसर्च के अनुसार अब पुरुष में भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखने लगे हैं। वैसे खुशी की बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर उन कैंसरों की श्रेणी में शुमार है जिसका निपटारा जल्दी हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने के चांस तब ज्यादा बढ़ जाते हैं जब उनके शरीर में बैड एस्ट्रोजेंस और हानिकारक टॉक्सिसन्स का निर्माण ज्यादा होने लगता है।

क्यों होता है ब्रेस्ट कैंसर?
भागदौड़ भरी जिंदगी और अनियमित खानपान मामूली बीमारियों से लेकर कई गंभीर बीमारियों का कारण साबित हो रहा है। इसके अलावा इसका एक कारण जैनेटिक समस्या भी है। फास्ट फूड और प्रोटीन रहित आहार का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसलिए हम आपको यह सलाह देंगे कि आप खुद को अधिक से अधिक प्रोटीन से जोड़ें। इसके लिए आप  Dr.G wellness का प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3, ओमेगा-6 और फाइबर के साथ कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में प्राकृतिक तौर पर आपका साथ देंगे। डॉक्टर भी ऐसे कैंसर से लड़ने के​ लिए अधिक से अधिक प्रोटीन और फाइबर का सेवन करने की सलाह देते हैं।


ऐसे केस में ज्यादा होता है ब्रेस्ट कैंसर
1) मासिक धर्म का कम उम्र में शुरू होना
2)  देर से पहली बार मां बनना या कभी बच्चे ना होना
3)  हार्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी कराना
4)  पुरुष द्वारा शार्टकट तरीके से 6 पैक एप्स बनाना
5)  बॉडी बनाने के लिए स्टेरॉड्स युक्त न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट का प्रयोग करना
6) शरीर में इन्सुलिन हार्मोन का हद-से-ज्यादा बढ़ना
7) नींद दिलाने वाले मेलाटोनिन हार्मोन का घटना
8) नाइट शिफ्ट में ज्यादा समय तक काम करना
9) प्रोटीन रहित खानपान
10) मासिक धर्म का देर में बंद होना (ऐसी स्थिति में अंडाशय, हार्मोन पैदा करना बंद कर देते हैं और शरीर की चर्बीवाली कोशिकाएं ईस्ट्रोजेन हार्मोन पैदा करती हैं। जिसके चलते मोटापे के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।)


प्रोटीओमेगा और ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर के लिए हम प्रोटीओमेगा के इस्तेमाल पर इसलिए जोर दे रहे हैं क्योंकि इस प्रोटीन युक्त सप्लीमेंट में प्रा​कृतिक औषधी रोजमेरी की प्रचुर मात्रा पर्याप्त है। जो ना सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर बल्कि प्रोस्टेट कैंसर, कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया और स्किन कैंसर से भी बचाने में मदद करता है। इसके अलावा रोजमेरी में पोटेशियम, कॉर्बोहाड्रेट, आयरन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, विटामिन A, B6, B12, C, D आदि पर्याप्त मात्रा में होते हैं।इतना ही नहीं इसमें एन्टी-इन्फ्लैमटॉरी गुण भी होता है जो ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकने में मदद करते हैं।

Wednesday, July 27, 2016

#World Hepatitis Day: कहीं आप भी तो नहीं हेपेटाइटिस के शिकार? पढ़ें ये रिपोर्ट

हेपेटाइटिस डे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए आज यानि कि हर 28 जुलाई को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर #वल्र्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है। हेपेटाइटिस होने का सीधा संबंध हमारे लीवर से है। अगर लीवर कमजोर पड़ गया या लीवर में सूजन आ गई तो हेपेटाइटिस की गिरफ्त में आने में देर नहीं लगती है। इसलिए इस रोग को चलती-फिरती मौत भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस के मुख्यतः पांच तरह के वाइरस पाए जाते हैं जिसमें टाइप ए, बी,सी,डी और ई हैं।

हेपेटाइटिस को लेकर पिछले साल डब्लूएचओ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि सिर्फ भारत में ही 2 से 5 फीसदी लोग हेपेटाइटिस वाइरस की चपेट में हैं। यही नहीं संगठन ने आशंका जताई है कि आने वाले कुछ समय बाद विश्वभर में लगभग 150 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में होंगे।


क्या है हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस मुख्यत: संक्रमण की बीमारी है। यह इसलिए भी अधिक घातक है क्योंकि यह शरीर में प्रवेश करने से पहले कोई लक्षण नहीं दिखाती है, और जब इस रोग के बारे में पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। क्योंकि उस वक्त लीवर खराब हो चुका होता है। सिर्फ खून टेस्ट या कुछ गिने चुने लक्षणों से ही इस रोग को पहचाना जा सकता है। आइए हम आपको हेपेटाइटिस के लक्षण और कारणों से रूबरू कराते हैं।

हेपेटाइटिस के लक्षण
1) लीवर में सूजन आना
2) शरीर और पेशाब का रंग पीला होना
3) अक्सर पेट में दर्द होना और भूख ना लगना
4) हल्का बुखार और जोड़ों में दर्द
5) पेट और सिर में दर्द होना
6) उल्टी आना, जी मचलना और कमजोरी महसूस होना


हेपेटाइटिस के कारण
1) दूषित खाना खाना
2) साफ सफाई का अभाव
3) असुरक्षित सेक्स करना
4) हेपेटाइटिस बी से संक्रमित सुई, ब्लेड या किसी अन्य उपकरण का प्रयोग करना
5) गर्भावस्था के दौरान मां से शिशु में फैलना
6) बीमारी से पीड़ित मरीज का टूथ ब्रश इस्तेमाल करना


विशेष— हेपेटाइटिस वाकई में बहुत जानलेवा रोग है। इसकी चपेट में आने से बचने के लिए सफाई रखें, हाथ धोकर खाना खाएं और अपने बच्चों को बाहर से आकर हाथ-मुंह धोने के लिए कहें। इस रोग से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि महीने में एक बार अपने परिवार सहित खुद का ब्लड टेस्ट कराएं। हेपेटाइटिस की जांच ब्लड टेस्ट से सबसे अच्छी होती है। अच्छी बात यह है हाथ मिलाने, खांसी या फिर छिकने से यह रोग नहीं फैलता है।

बीमारियों से रहना है दूर तो बदलिए लाइफस्टाइल


आधे से ज्यादा बीमारियों की चपेट में हम अपने खराब लाइफस्टाइल की वजह से आते हैं। यानि कि लगभग आधे से ज्यादा बीमारियों के लिए हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं। इसलिए बीमारी के वक्त मौसम या किसी और चीज को कोसना बंद कीजिए। कैसे? वो ऐसे कि हमारे खानपान का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। यदि हम दूषित और अनियमित खानपान को अपनाएंगे तो 99 प्रतिशत हमारा बीमार पड़ता लाजमी है।

लाइस्टाइल बीमारियां
लाइस्टाइल बीमारियां यानि कि जैसे इन दिनों मानसून का मौसम चल रहा है। अगर हम ऐसे मौसम में ज्यादा फास्ट फूड और गंदा खाना खाएंगे तो हमें वायरल बुखार, पीलिया, हैजा, कमजोरी, मोटापा और टाइफाइड जैसे रोग निश्चित तौर पर लगेंगे।

प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट
इन सब से बचने का सबसे अच्छा माध्यम है कि हम एक हेल्दी डाइट अपनाएं और अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन को शामिल करें। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, ओमेगा और कई पोषक तत्वों से बना Dr.G wellness का प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट आपको लाइफस्टाइल बीमारियोंं से बचाने के साथ ही आपको एक स्वस्थ शरीर प्रदान कर सकता है। इस सप्लीमेंट की खासियत यह है कि यह हमारे पेट में फंसें गंदे मल को एनस के द्वारा बाहर निकाल देता है और हमको एक स्वस्थ शरीर प्रदान करता है। इस सप्लीमेंट को पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स के साथ लिया जा सकता है।