क्या आप भी गर्मियों में डल स्किन से परेशान हैं?

मौसम चाहे कोई भी हो लेकिन हर लड़की चाहती है कि वह हमेशा चमकती-दमकती और फ्रैश दिखें। लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे बरकरार रखना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।लेकिन आज हम आपको बताएंगे हैं कि आप कैसे खुद को हमेशा खिलाखिला रख सकती हैं।

अबॉर्शन कराना मतलब डिप्रेशन को न्यौता देना

अबॉर्शन के बाद डिप्रेशन होना शायद यह बात आपको थोड़ा अजीब जरूर लगे। लेकिन सच यह है कि अबॉर्शन और डिप्रेशन का बहुत गहरा संबंध है। अॅर्बाशन कराने के बाद अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और...

अस्थमा के मरीज हैं तो बारिश से रहे सावधान, जानिए क्यों?

मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। लेकिन इस मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए अभिश्राप साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

देश का भविष्य खराब कर रहा है फास्ट फूड

आज के समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड को लोगों की पहली पसंद कहें या मजबूरी, दोनों ही स्थितियों में यह जानलेवा है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि फास्ट फूड हमारे देश का 'भविष्य' खराब कर रहा है।

बालों को लेकर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 5 गलतियां?

आज के समय में हर कोई बालों के झड़ने और रफ होने जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। लेकिन अगर हकीकत देखी जाए तो अपनी इस समस्या के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

Wednesday, August 3, 2016

#Breastfeeding : आज की महिलाओं को जरूर पता होनी चाहिए ये बातें!


चाहे महिला ग्रामीण हो या शहरी मां बनना हर एक महिला के लिए आत्मसम्मान की बात होती है। जब एक महिला अपने बच्चे को जन्म देने के बाद उसे पहली बार थामती है तो वह पल उसकी जिंदगी का सबसे कीमती और खास पल होता है। क्योंकि अपने शिशु को पकड़ते ही मां लेबर पेन के दर्द से लेकर दुनिया के हर गम को भूल जाती है।

#BreastFeeding: इस उम्र में म​हिलाएं कराती हैं 75% स्तनपान

मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान होता है, बावजूद इसके आजकल की महिलाएं अपना फिगर खराब होने के डर से अपने बच्चों को स्तनपान कराने से परहेज करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप तब तक एक अच्छी मां नहीं बन सकते जब तक आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराते। आज ब्रेस्टफीडिंग वीक के तीसरे दिन हम आपको बताएंगे कि ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कुछ खास बातें आज के समय की हर मां को पता होनी चाहिए।


कोलोस्ट्रम है अमृत
डिलीवरी के बाद हर मां के स्तनों से गाढ़े पीला रंग का तरल पदार्थ निकलता है, जिसे मेडिकल की भाषा में कोलोस्ट्रम कहते हैं। पहले के समय में इसे गंदा पदार्थ कहकर छोड़ दिया जाता था। लेकिन आज के वैज्ञानिकों का कहना है कोलोस्ट्रम का सेवन करने पर शिशु को कई तरह के पौष्टिक तत्व मिलते हैं।

मे​डिकल साइंस का कहना है कि कोलोस्ट्रम में रोग-निरोधी और इम्युनोग्लोबुलिन प्रचुर मात्रा में होता है। यही वह गुण होता है जो बच्चे के पहले शोच को आने में मदद करता है। हर मां लगभग 50 मिलीलीटर कोलोस्ट्रम का उत्पान करती है। यानि की कोलोस्ट्रम सीमित समय तक ही रहता है। इसके बाद मां के दूध का रंग सफेद होने लगता है। कोलोस्ट्रम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इमसे विटामिन, प्रोटीन, कॉर्बोहाइड्रेट, फैट्स और मिनरल प्रचुर मात्रा में होता है।


दूध की ताकत
मां का दूध सिर्फ बच्चे का पेट भरने ही नहीं बल्कि उसे इंफेक्शन और बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है।मां का दूध पीने से बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे बड़ा होकर वह कम बीमार पड़ता है।

बच्चे का वजन
क्या आप जानते हैं बच्चा जितनी तेजी से पहले साल में बढ़ता है उतना वह जीवन भर नहीं बढ़ता। बच्चे की इस ग्रोथ के लिए मां का दूध एक बड़ा रोल प्ले करता है। किसी भी स्वस्थ नवजात शिशु का वजन छह महीने बाद दोगुना और 12 महीने के बाद जन्म के वक्त के वजन का तीन गुना होना चाहिए।


दूध के गुण
मां के दूध में लेक्टोस के रूप में भारी मात्रा में कॉर्बोहाइड्रेट होता है। जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनता। मां के दूध में पाया जाने वाला फैट बच्चे को एनर्जी देता है। वहीं, डीएचए ऐसा गुण है जो बच्चे के मस्तिष्क को परिपक्व करता है। जबकि मिनिरल और विटामिन बच्चे के पाचन तंत्र को मजबू बनाते हैं।

विशेष— अगर आप भी अपने बच्चे को जीवनभर स्वस्थ और हंसता-खेलता देखना चाहती हैं तो अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड जरूर कराएं। साइंस के मुताबिक जन्म के शुरुआती 6 महीने तक शिशु को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। अगर मां दो साल तक अपने बच्चे को दूध पिलाती है तो बच्चे की गंभीर बीमारी में फंसने की बहुत कम संभावना होती है।

Tuesday, August 2, 2016

बच्चों को डायबिटिज से बचाता है प्रोटीओमेगा


भागदौड़ भरी जिंदगी में दूषित और अनियमित खानपान के चलते आजकल छोटे छोटे बच्चे भी डायबिटिज जैसे गंभीर और बुढ़ापे में होने वाली बीमारी के शिकार हो रहे हैं। यह बीमारी इतनी जानलेवा है कि अगर इसमें परहेज नहीं किया तो मौत होने की भी पूरी संभावना रहती है। फास्टफूड के आदि बच्चे घर के खाने को जहर समझते हैं। बच्चे पूरी कोशिश करते हैं कि किसी भी तरह से घर से खाने से बचा जाए। जिसके चलते ऐसे बच्चे सिर्फ मोटापे का शिकार होकर लाइस्टाइल बीमारियों की चपेट में आते है।


अगर आपके बच्चे भी डायबिटिज की बीमारी से जूझ रहे हैं तो आप इसके समाधान में Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा स्पलीमेंट को अपनाइए। प्रोटीओमेगा डायबिटीज के मरीजों के लिए इसलिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि इसमें आर्टिफिशल शुगर का इस्तेमाल नहीं किया है। इसमें वनिला फ्लेवर में प्राकृतिक मिठास को मिश्रित किया गया है। जिससे ब्लड में शुगर की मात्रा नहीं बढ़ती। इसके साथ ही इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन है जो बच्चों को एनर्जी देने के साथ ही उन्हें स्वस्थ भी रखता है। चूंकि डायबिटिज की बीमारी से ग्रसित बच्चों का जल्दी सांस फूलना और थकना आम होता है। प्रोटीओमेगा के नियमित प्रयोग से इस तरह के लक्षणों से भी छुटकारा मिलता है।

क्या आप भी हैं अपने बच्चों की छोटी हाईट से परेशान?




पर्सनेलिटी का सीधा संबंध हमारी हाईट से होता है। अगर कोई बच्चा हाईट में छोटा है तो वह जल्दी से आकर्षिक नहीं लगता जबकि लंबी हाईट वाले लोग ज्यादा सुंदर ना होने के बावजूद जल्दी से नजरों में आ जाते हैं। आजकल अक्सर अभिभावकों को अपने बच्चों की हाईट छोटी होने की शिकायतें रहती है। कुछ परिजनों का कहना होता है कि तमाम तरह के पोषक तत्व देने के बावजूद उन्हें बच्चों की हाईट नहीं बढ़ रही है तो कुछ लोग अपने बच्चों की छोटी हाईट को जैनेटिक समस्या करार देते हैं। जबकि हाईट छोटी होने का सीधा संबंध हमारे खानपान से होता है। आजकल बच्चे फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड खाने के इतने आदि हो गए हैं कि उन्हें घर का खाना अच्छा ही नहीं लगता जिसके चलते पौष्टिक आहार के अभाव में उनका शरीर ग्रोथ नहीं कर पाता है।



अगर आप भी कुछ इसी तरह के सवालों से घिरे हुए हैं तो Dr.G wellness का प्रोटीओमेगा स्पलीमेंट आपके लिए है। इस सप्लीमेंट में प्रोटीन की अच्छी खासी मात्रा है। इस सप्लीमेंट के नियमित प्रयोग से आप अपने बच्चे को एक स्वस्थ शरीर और आकर्षित हाईट दे सकते हैं। इस सप्लीमेंट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी भी तरह के कैमिकलक का प्रयोग नहीं किया गया है। प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट में ना सिर्फ प्रोटीन बल्कि ओमेगा-3, फाइबर, फैट, कॉर्बोहाइड्रेट समेत कई पौष्टिक तत्व शामिल हैं।

प्रोटीओमेगा की खासियत
प्रोटीओमेगा की खासियत यह है कि इसे बच्चों की पसंद के हिसाब से स्वाटिष्ट बनाया गया है। यह इतना टेस्टी और यमी है कि बच्चों को स्वाद और प्रोटीन एक साथ मिल जाता है। सिर्फ 5 मिनट में पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स में प्रोटीओमेगा को देकर आप अपने बच्चे को एक स्वस्थ शरीर और एक ​फिट हाईट दे सकते हैं।

दूध और प्रोटीओमेगा की जोड़ी है शानदार


आजकल बच्चे दूध के स्वाद को बेस्वाद कहकर इसे पीने से बचते हैं। जिसके चलते अभिभावक दूध के पौष्टिक तत्वों को बच्चों तक पहुंचाने के लिए बाजारों से तरह तरह के सप्लीमेंट्स खरीद कर लाते हैं, ताकि उन्हें दूध में मिलाकर बच्चों को दिया जा सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजारों में मिलने वाले आधे से ज्यादा सप्लीमेंट्स में कैमिकल मिला होता है। इसके साथ ही उनमें प्रोटीन भी काफी कम होता है। ऐसे में हम आपको यहां सलाह देंगे कि आप अपने बच्चों को प्रोटीन की सही मात्रा देने के लिए दूध के साथ Dr.G wellness का प्रोटीओमेगा स्पलीमेंट इस्मेमाल करिए।

इस सप्लीमेंट में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन ओमेगा-3, कॉर्बोहाइड्रेट, फाइबर और फैट के साथ ही कई ऐसे पौष्टिक तत्व होते हैं जिन्हें बच्चों को देना बहुत जरूरी होता है। सिर्फ 5 मिनट में पानी, दूध या फिर किसी भी शेक्स में प्रोटीओमेगा को देकर आप अपने बच्चे को एक स्वस्थ शरीर दे सकते हैं।

इस तरह बच्चों को घेरती हैं लाइफस्टाइल बीमारियां


​टेलीविजन के आदि, जंक फूड और आउटडोर खेलों के प्रति रुचि खत्म होना बच्चों में लाइफस्टाइल बीमारियों के बढ़ने का सबसे बड़े कारण है। मेडिकल साइंस के मुताबिक आज के समय में लगभग 70 प्रतिशत बच्चे मोटापे, डायबिटिज, हार्ट और आंतों से जुड़ी बीमारियों के शिकार हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस स्थिति के लिए बच्चों का खानपान सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।


दरअसल आजकल के बच्चे घर के खाने में कमियां निकाल कर कोशिश करते हैं कि किसी भी तरह उन्हें फास्ट फूड मिल जाए। ऐसी स्थिति में परिजनों का फर्ज बनता है कि वह बच्चों की ऐसी बातों का मानने के बजाय उन्हें घर के खाने और फास्ट फूड में फर्क बताएं। दूषित खानपान के चलते आजकल छोटे छोटे बच्चों को फूड पाइप, छोटी और बड़ी आंतें, लीवर, सांस नली और पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियों हो रही है। इसका कारण सिर्फ खाने में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का अभाव है।


प्रोटीओमेगा है समाधान
अगर आपके बच्चे घर के खाने से परहेज करते हैं तो घबराइए मत। ऐसी स्थिति में आपको हाथ पर हाथ रखकर बैठने के बजाय अपने बच्चों को अलग से प्रोटीन देने की जरूरत है।  Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को इस्मेमाल को इस्मेमाल पर आप बच्चों को शारीरिक और मानसिक दोनेां तरह से स्वस्थ बना सकते हैं। कैमिकल रहित इस सप्लीमेंट में प्रचुर मात्रा म़ें प्रोटीन, ओमेगा 3, ओमेगा 6, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, फैट, एनर्जी समेत कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो बच्चों के बेहतर विकास के लिए रामबाण है।

प्रोटीओमेगा के नियमित इस्तेमाल से आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। जिसके चलते आप अपने बच्चों को लाइफस्टाइल बीमारियों से बचा सकते हैं। सिर्फ 5 मिनट में आप अपने बच्चे को पानी, दूध या फिर उनके मनपसंद शेक में प्रोटीओमेगा को मिलाकर देने से उन्हें एक आसान तरह से स्वस्थ रख सकते हैं।

#BreastFeeding: इस उम्र में म​हिलाएं कराती हैं 75% स्तनपान



इन दिनों अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेस्टफीडिंग की धूम मची हुई है। मां के दूध को वरीयता देने के लिए अगस्त माह का पहला सप्ताह ब्रेस्टफीडिंग के रूप में मनाया जाता है। देशभर में ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जगह-जगह कैम्प लगे हुए हैं। कई जगहों पर महिलाएं अपने शिशुओं को पब्लिक प्लेस में ही ब्रेस्ट फीड करा रही हैं तो कई जगहों पर ब्रेस्ट फीड से शिशु और मां को होने वाले फायदों के पोस्टर लगाए गए हैं। इन सब के पीछे का मकसद सिर्फ महिलाओं को यह बताना है कि अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त उन्हें कहीं छिपने की जरूरत नहीं है बल्कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

एक मां द्वारा अपने शिशु को ब्रेस्ट फीड कराना वो पल होता है जब एक महिला को खुद पर गर्व होता है। हालांकि आज के समय में महिलाएं अपना​ फिगर खराब होने जैसी भ्रांतियों के चलते अपने शिशुओं को ब्रेस्टफीड कराने से परहेज करती है। आज ब्रेस्टफीडिंग के दूसरे दिन हम आपको बताएंगे कि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर महिलाएं किस उम्र में सबसे ज्यादा और किस उम्र में सबसे कम ब्रेस्टफीड कराती हैं। इसके साथ आइए जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग के 10 चमत्कारिक फायदें।


1) मां को आती है अच्छी नींद
शायद आपको यह आजतक ​महसूस ना हुआ हो लेकिन यह ​सच है कि जब एक मां अपने शिशु को ब्रेस्टफीड कराती है तो उसके बाद उसे अच्छी नींद आती है। 'द जरनल आॅफ पैरिनेटल' की स्टडी के अनुसार रात को ब्रेस्टफीड कराने के बाद एक महिला 45 मिनट तक ज्यादा नींद लेती है।

2) खत्म होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
'हेल्थ फाउनडेशन बर्थ सेंटर' के मुताबिक अपने शिशु को दूध पिलाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 25 प्रतिशत तक घट जाता है। जिंदगी भर ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए अपने शिशु को अवश्य ब्रेस्ट फीड कराएं।


3) बचते हैं 80094.00 से 100147.50 रुपये
ब्रेस्टफीडिंग से मां और शिशु को तो कई तरह के फायदे होते ही हैं सबसे अच्छी चीज यह है कि ब्रेस्टफीड से आप लगभग 80094.00 से 100147.50 रुपये तक की सेविंग कर सकते हैं। क्योंकि जो महिलाएं अपने शिशुओं को दूध पिलाने से परहेज करती हैं वह रेडिमेड दूध, निप्पल, बोतल और फ्लेवर जैसी तमाम चीजों में हजारों रुपये खर्च कर देती हैं।

4) मां पर निर्भर है दूध का स्वाद
मां के दूध का स्वाद सिर्फ उसके खानपान पर निर्भर करता है। यानि कि मां अगर दूषित खानपान का सेवन करती है तो उसके दूध में अपेक्षाकृ​त कम पोषक तत्व होंगे और स्वाद भी अच्छा नहीं होगा। लेकिन अगर मां पौष्टिक आहार लेती है तो उसका दूध बेहद स्वादिष्ट होगा।


5) दाएं स्तन में आता है ज्यादा दूध
'हेल्थ फाउनडेशन बर्थ सेंटर' के मुताबिक 75 प्रतिशत महिलाओं के दाएं स्तन में बाएं स्तन की अपेक्षा अधिक दूध आता है। हालांकि दोनों की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं होता है।

6) 30 साल में 75% होती है ब्रेस्टफीडिंग
'सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' की रिपोर्ट के ​मुताबिक 20 और इसके कम उम्र की युवतियां सिर्फ 43% ही ब्रेस्टफीड कराती हैं। वहीं 20 से 29 साल की उम्र की महिलाएं 65% ब्रेस्टफीड कराती हैं। जबकि 30 साल से अधिक की महिलाएं 75% ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं।

7) शिशु को मिलते हैं अनगिनत लाभ
मां के दूध से शिशुओं को अनगिनत लाभ मिलते हैं। मां का दूध पीने वाले शिशु शारीरिक और मानिसिक दोनों तौर पर हमेशा स्वस्थ रहते हैं। मां का दूध पीने वाले बच्चे अपेक्षाकृत अधिक बुद्धिमान भी होते हैं। क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, आयरन, ओमेगा एसिड और कई अन्य पोषक तत्व मिलते हैं।


8) स्तन के आकार होते हैं बराबर
अक्सर महिलाओं को स्तनों के आकार को लेकर शिकायतें रहती हैं। ब्रेस्टफीड आपकी यह समस्या दूर करती हैं। ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के दोनों स्तनों का आकार हमेशा एक समान रहता है।

9) बीमारी में भी कराते रहें ब्रेस्टफीड
बेबी सेंटर के मुताबिक अगर मां बुखार, वायरल, कोल्ड या किसी भी तरह की बीमारी से जूझ रही है तो वह उस स्थिति में भी शिशु को दूध पिला सकती है। मां के दूध से शिशु का इम्युन सिस्टम मजबूत होने के साथ ही बच्चा कई तरह की बीमारियों से लड़ जाता है।

10) हर मां के दूध की होती है अलग महक
क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि हर महिला के स्तनों के दूध में एक अलग तरह की महक होती है। रोचक बात यह है कि सिर्फ 2 ​सप्ताह का बच्चा भी अपनी मां के दूध की खुशबू को पहचान लेता है।

Monday, August 1, 2016

'जंक फूड' के रूप में 'जहर' खा रहे हैं आपके बच्चे


आजकल बच्चे जंक फूड खाने के इतने आदि हो गए हैं कि उन्हें प्रोटीन युक्त खाना जहर लगता है। जबकि जंक फूड आपके बच्चों के लिए ऐसा दुश्मन बनकर सामने आया है जो उन्हें बचपन में ही बुढ़ापे में होने वाली बीमारियों के दर्शन करा देता है। जंक फूड का जरूरत से अधिक सेवन करने पर बच्चे पीलिया, जोड़ों में दर्द, याद्दाश्त कमजोर होना, फूड प्वाइजिनिंग, आखों का कमजोर होना, कम सुनाई देना और अक्सर बीमार होना जैसे जानलेवा रोगों में घेर लेता है।


इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे का मन रखने के लिए उन्हें जंक फूड खिलाने के बजाय स्वादिष्ट प्रोटीन सप्लीमेंट खिलाएं। इसके लिए आप Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को इस्मेमाल कर सकते हैं। इस सप्लीमेंट की खासियत यह है कि यह जितना पौष्टिक है उतना ही स्वादिष्ट भी है। प्रोटीओमेगा का स्वाद खासतौर पर बच्चों की पंसद को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस सप्लीमेंट में प्रोटीन, ओमेगा 3, ओमेगा 6, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, फैट, एनर्जी समेत कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो बच्चों के बेहतर विकास के लिए रामबाण है। सिर्फ 5 मिनट में आप अपने बच्चे को पानी, दूध या फिर उनके मनपसंद शेक में प्रोटीओमेगा को मिलाकर देने से उन्हें जीवनभर गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं।

ये है आपके बच्चे के लिए प्रोटीन की सही मात्रा


अगर आप भी अपने बच्चे के लिए प्रोटीन युक्त सप्लीमेंट खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो प्लीज कैमिल युक्त सप्लीमेंट से सावधान रहें। बाजारों में मिलने वाले आधे से ज्यादा सप्लीमेंट में कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। 0—13 साल की उम्र के बच्चों के बेहतर विकास के लिए प्रोटीन और पोषक तत्वों की खासी जरूरत होती है। इसलिए जब भी आप किसी सप्लीमेंट का चयन करें तो उसे अच्छी तरह भांप लें।

हम यहां आपको सलाह देंगे कि आप अपने बच्चों के बेहतर विकास और उज्जवल भविष्य के लिए Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को इस्मेमाल करिए। यह सप्लीमेंट आपके के सम्पूर्ण विकास करने में पूरी मदद करेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट में प्रोटीन, ओमेगा 3, ओमेगा 6, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, फैट, एनर्जी समेत कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो बच्चों के लिए रामबाण हैं। आइए हम आपको बताते हैं किस उम्र के बच्चों को ​कितनी प्रोटीन की मात्रा की जरूरत होती है।


0 से 12 महीने के बच्चों को रोजाना 9.1 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है।
1 से 3 साल के बच्चों को रोजाना 13 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है।
4 से 8 साल के बच्चों को रोजाना 19 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है।
9 से 13 साल के बच्चों को रोजाना 34 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है।

इसलिए आपके बच्चे हमेशा चिड़चिड़े रहते हैं!


आप भी सुनते रहते होंगे कि प्रोटीन और पोषक तत्व एक स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी होते है। लेकिन क्या हम इन चीजों पर ज्यादा समय के लिए अमल कर पाते हैं? नहीं ना! इसी लापरवाही से हम बीमार पड़ते हैं और उसके बाद जब हम अपने बच्चों को प्रोटीन युक्त चीजों का सेवन करने के लिए कहते हैं तो वह उस बात को अनसुना कर चलता हो जाते हैं। 

आजकल के परिजनों को अक्सर दो तरह की शिकायतें रहती हैं— पहली यह कि उनके बच्चे जरूरत से ज्यादा जिद्दी हैं और दूसरे ये कि उनके बच्चे अपने आप में ही सिमटे रहते हैं। क्या आपने कभी यह सोचने का प्रयास किया है कि तमाम कोशिशों के बावजूद यह ​आपके साथ क्यों हो रहा है? आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महज 5 साल के बच्चे पर भी अभिभावक काफी प्रेशर डाल देते हैं। जिसे पूरा करने के लिए बच्चों को प्रेशर की तुलना में पोषक आहार नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में बच्चा या तो चिड़चिड़ा रहने लगता है और या फिर मायूस होकर अपने आप में ही खोया रहता है।


क्योंकि आजकल हर चीज में मिलावट हो रही है इसलिए यह जरूरी है कि हम सिर्फ अन्न के भरोसे अपने बच्चों को ना छोड़ कर उन्हें प्रोटीन युक्त भोजन सा सप्लीमेंट दें। इसके लिए हम आपको यहां सलाह देंगे कि आप बच्चे के बेहतर विकास के लिए Dr.G wellness के प्रोटीओमेगा सप्लीमेंट को इस्मेमाल करिए। यह सप्लीमेंट में प्रोटीन, ओमेगा 3, ओमेगा 6, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, फैट, एनर्जी समेत कई ऐसे पोषक तत्व शामिल हैं जो हमारी मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित रखने के साथ ही हमारा लीवर मजबूत होता।

इसके साथ ही यह सप्लीमेंट हमारे बच्चों को शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास करने में भी मदद करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सप्लीमेंट प्राकृतिक पोषक तत्वों से बना है जो बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। जिससे बच्चे समय समय पर बीमार नहीं पड़ते हैं।